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अब रेस्टोरेंट पर भी हो रहे साइबर अटैक्स, 300 फास्ट-फूड रेस्तरां आएं चपेट में, कई बड़े नाम लिस्ट में शामिल

समय के साथ-साथ दुनिया भर में साइबर अटैक्स बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में लगभग 300 रेस्तरां के डाटा लीक हुए है। बताया जा रहा है कि इस लिस्ट में कई बड़े रेस्तरां केएफसी पिज्जा हट टैको बेल और द हैबिट बर्गर ग्रिल शामिल हैं। (जागरण फोटो)

By Ankita PandeyEdited By: Ankita PandeyUpdated: Fri, 20 Jan 2023 08:00 PM (IST)
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Ransomware attacks stolen data of 300 fast food restaurants

नई दिल्ली, टेक डेस्क। यूके में एक बड़ी साइबर अटैक की घटना सामने आई है, जिसमें यूके के केएफसी, पिज्जा हट, टैको बेल और द हैबिट बर्गर ग्रिल रेस्तरां रैनसमवेयर हमले से प्रभावित हुए थे। इन वैश्विक फास्ट-फूड चेन के मालिक और संचालन करने वाले ब्रांड यम ने बताया हैं कि देश भर में लगभग 300 रेस्तरां इससे प्रभावित हुए। इतना ही नहीं हमलावरों ने डाटा भी चुरा लिया, हालांकि कंपनी ने अपने ग्राहकों को आश्वस्त किया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उनकी निजी जानकारी उजागर हुई है।

एक दिन तक बंद थे 300 रेस्तरां

यम ब्रांड्स ने अपने बयानों में कहा कि हाल के रैनसमवेयर हमले ने कुछ सूचना प्रौद्योगिकी प्रणालियों को प्रभावित किया है। हमले के बाद कंपनी ने यूनाइटेड किंगडम में एक दिन के लिए लगभग 300 प्रभावित रेस्तरां बंद कर दिए, जिन्हें एक दिन के बंद के बाद चालू कर दिया गया हैं। कंपनी सक्रिय रूप से प्रभावित सिस्टम को पूरी तरह से बहाल करने में लगी हुई है, जो आने वाले दिनों में काफी हद तक पूरा होने की उम्मीद है।

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साइबर सुरक्षा के लिए उठाएं कदम

इसके अलावा कंपनी ने प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल भी तैनात किए हैं, जिसमें कुछ सिस्टम को बंद करना और एडवांस मॉनिटरिंग तकनीक को लागू करना शामिल है। इसने साइबर सुरक्षा और फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ-साथ अधिसूचित संघीय कानून प्रवर्तन की मदद भी ली है।

फिर से चालू हुई सर्विस

प्रभावित रेस्तरां ने अब सामान्य ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिया है और कंपनी ने कहा है कि हमले से महत्वपूर्ण वित्तीय प्रभाव नहीं पड़े है। हालांकि कंपनी के नेटवर्क से डाटा लिया गया था और जांच चल रही है। इस स्तर पर, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ग्राहक डेटाबेस चोरी हो गए थे। हालांकि इस घटना के कारण अस्थायी व्यवधान हुआ।

क्या है रैंसमवेयर अटैक?

रैंसमवेयर में साइबर हमलावर पीड़ित की फाइलों को एन्क्रिप्ट कर देते हैं और डिक्रिप्शन की के बदले भुगतान की मांग करते हैं। फाइलों तक पहुंच पाने के लिए, ये हमलावर फिशिंग मेल या सॉफ् वेयर ऐप्स से लक्षित सिस्टम तक एक्सेस पाते हैं।

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