Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

अपने सिम कार्ड में बदलाव की तैयारी कर रहा है Airtel, जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

Airtel ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने कचरे और उत्सर्जन को कम करने के लिए पुनर्नवीनीकरण पीवीसी सिम कार्ड पर स्विच करने के लिए इडेमिया के साथ साझेदारी की। एक ब्रांड के रूप में कंपनी विभिन्न टिकाऊ उपायों को अपनाने और शुद्ध शून्य उत्सर्जन को हासिल करने के लिए योगदान कर रही है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

By Agency Edited By: Ankita Pandey Updated: Wed, 28 Feb 2024 10:48 PM (IST)
Hero Image
अपने सिम कार्ड में बदलाव की तैयारी कर रहा है Airtel

पीटीआई, नई दिल्ली। एयरटेल भारत की तीन मुख्य दूरसंचार कंपनी में गिनी जाती है,जो अपने कस्टमर्स को बेहतर एक्सपीरियंस देने के लिए निरंतर प्रयास करती रहती है। हाल ही में एक जानकारी सामने आई कि एयरटेल अपने सिम में कुछ बदलाव करने जा रहा है।

एयरटेल ने बुधवार को कहा कि उसने नए प्लास्टिक से बने सिम कार्ड की जगह रिसाइक्लिड पीवीसी सिम कार्ड को अपनाया है। इसके लिए कंपनी ने टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन प्रोवाइडर इडेमिया सिक्योर ट्रांजैक्शन के साथ साझेदारी की है। आइये इसके बारे में जानते हैं।

क्यों किया जा रहा है बदलाव

कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि इस पहल से कार्बन डाइ आक्साइड उत्सर्जन में सालाना 690 टन से अधिक की कमी होगी। कंपनी ने बयान में कहा कि एयरटेल पुनर्चक्रण( रिसाइकिलिंग) से बने प्लास्टिक सिम कार्ड को अपनाने वाली एकमात्र दूरसंचार कंपनी है।

एयरटेल के सप्लाई चेन निदेशक पंकज मिगलानी ने कहा कि एक ब्रांड के रूप में कंपनी विभिन्न टिकाऊ उपायों को अपनाने और शुद्ध शून्य उत्सर्जन को हासिल करने के लिए योगदान कर रही है।

यह भी पढ़ें- OnePlus 12R का स्पेशल एडिशन हुआ लॉन्च, यहां जानें कीमत और सारी जरूरी डिटेल

क्या होगा फायदा

यह माइग्रेशन ग्रीनहाउस गैसों को कम करने और सप्लायर पार्टनर्स और अन्य हितधारकों के साथ सर्कुलरिटी को बढ़ावा देगा। है।आपको बता दें कि इसका उद्देश्य लोगों को अपशिष्ट को कम करने और रीसाइक्लिंग और प्रोडक्ट के रियूज के लिए प्रोत्साहित करना है।

एयरटेल ने वित्त वर्ष 2020-21 को आधार वर्ष मानते हुए वित्त वर्ष 2030-31 तक अपने परिचालन में पूरा स्कोप 1 और 2 ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को 50.2% तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध किया है।

यह भी पढ़ें- सेमीकंडक्टर की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग जरूरी, वृद्धि की काफी संभावना