Artifical Intelligence: AI का तेजी से बढ़ रहा दखल, इन मामलों में इंसान से निकल चुका आगे
आपने खुद गौर किया होगा कि जब से चैट बॉट लॉन्च होना शुरू हुए हैं तब से हमारा रहन-सहन और जीने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। हमारे हिस्से के अधिकतर कामों की जिम्मेदारी अब AI के कंधों पर आ गई है। स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी एआई इंडेक्स 2024 की माने तो कुछ मामलों में इस टेक्नोलॉजी ने इंसानों को पीछे छोड़ दिया है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। तकनीक की दुनिया में नित नए आयाम रचे जा रहे हैं, जिस काम को करने के लिए कुछ सालों पहले तक घंटों का समय खर्च करना पड़ता था। वह अब कुछ ही मिनटों में या कहें सेकंडों में पूरा कर लिया जाता है। यूं तो एआई को आए एक दशक से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है।
लेकिन अधिक प्रभाव में ये उस दौरान आया जब OpenAI नाम की एक कंपनी ने चैट जीपीटी नाम से एक चैटबॉट लॉन्च किया। उसके बाद तो चैट बॉट्स की बाढ़ सी आ गई है। मौजूदा समय में कई ऐसे बॉट हैं जो सिर्फ एक छोटे से प्रॉम्प्ट के आधार पर ही बहुत कुछ करने की क्षमता रखते हैं।
सच में AI ने बदली दुनिया...
आपने खुद गौर किया होगा कि, जब से चैट बॉट लॉन्च होना शुरू हुए हैं, तब से हमारा रहन-सहन और जीने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। हमारे हिस्से के अधिकतर कामों की जिम्मेदारी अब AI के कंधों पर आ गई है। सीवी के लिए प्रॉम्प्ट लिखवाने से लेकर छुट्टी के लिए मेल लिखवाने तक सब हम इसीके जरिये करवा ले रहे हैं।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी एआई इंडेक्स (2024 AI Index 2024) की माने तो कुछ मामलों में टेक्नोलॉजी ने इंसानों को पीछे छोड़ दिया है। इनमें इमेज जेनरेट करवाने और समरी जेनरेट करने जैसी चीजें शामिल हैं। लेकिन अभी भी कुछ हिस्से हैं जहां एआई तकनीक को इंसानों से आगे निकलने के लिए काम करना होगा।
लोगों को परेशान कर रही टेक्नोलॉजी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की वजह से भले ही हमारे बहुत से काम आसान हो गए हैं, लेकिन इसका एक पहलु और भी है जो हमें परेशान करने के लिए काफी है। एक शोध के अनुसार, जब भारतीयों से पूछा गया कि एआई को लेकर वह क्या सोचते हैं तो 58 फीसदी भारतीयों ने इस तकनीक को लेकर चिंता जाहिर की। शोध में कुछ और देश भी शामिल हैं।
69 फीसदी ऑस्ट्रेलियाई मानते हैं कि AI भविष्य में चिंता खड़ी कर सकता है। जबकि 65% ब्रिटिश, अमेरिका और कनाडा के 63% ने एआई से अपनी चिंता व्यक्त की है, जो दिखाती है कि एक हिस्सा भले ही इस टेक्नोलॉजी का समर्थन कर रहा है। लेकिन दूसरे हिस्सा जो विरोध कर रहा है उसे भी नजर-अंदाज नहीं किया जा सकता।