चैटबॉट के साथ कितनी बदल जाएगी एआइ की दुनिया, बिंग और गूगल बार्ड देंगे इंटरनेट को टक्कर
चैटबॉट ने बीते कुछ महीनो में अपनी पकड़ बढ़ा ली और समय के साथ -साथ सर्च इंजन ने भी इसको अपनाने की शुरूआत की है। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने नए एआइ आधारित नए बिंग को पेश किया है। आइये जानें इन चैटबॉट का इंटरनेट पर क्या असर होगा।
By Jagran NewsEdited By: Ankita PandeyUpdated: Wed, 01 Mar 2023 08:49 AM (IST)
नई दिल्ली, ब्रह्मानंद मिश्र। चैटजीपीटी, माइक्रोसाफ्ट का एआइ बिंग और गूगल का बार्ड, एआइ सर्च इंजन की दुनिया में आगे रहने के लिए लगातार मशक्कत कर रहे हैं। इससे इंटरनेट सर्च की दुनिया तेजी से बदलने लगी है। बेशक इससे लोगों को सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन इसे लेकर कुछ सवाल भी हैं। जानते हैं एआइ चैटबाट की उपयोगिता और चुनौतियों के बारे में...
देश-दुनिया में इंटरनेट प्रयोग करने का तरीका बहुत तेजी से बदल रहा है। इसका एक बड़ा कारण बन रहा है-एआइ चैटबाट यानी चैटजीपीटी। इस कृत्रिम मेधा में सूचनाओं को एकत्र कर, उसे बेहद कम समय में सामान्य संवाद के रूप में प्रस्तुत करने की अद्भुत क्षमता है। दरअसल, एआइ चैटबाट टेक्नोलाजी कुछ महीनों पहले प्रयोगशालाओं तक ही सीमित थी, लेकिन बीते नवंबर में जब ओपेनएआइ का चैटजीपीटी सार्वजनिक हुआ, तो इंटरनेट की दुनिया में क्रांति की नयी लहर पैदा हो गई और फिर शुरू हुई गूगल एवं माइक्रोसाफ्ट जैसी शीर्ष तकनीकी कंपनियों के बीच जेनरेटिव एआइ तकनीक को लेकर अंतहीन प्रतिस्पर्धा।
उपलब्धियों की लंबी होती सूची
चैटजीपीटी आज उस मुकाम पर है, जहां इसके अनुप्रयोग की बेशुमार राहें दिख रही हैं। अमेजन बुक लिस्ट में अब तक 200 से अधिक ऐसी पुस्तकें दर्ज हो चुकी हैं, जिन्हें चैटजीपीटी ने लिखा है। 'द पावर आफ होमवर्क' और कविता संग्रह 'इकोज आफ द यूनिवर्स' समेत अलग-अलग विषयों पर अनेक पुस्तकें चैटजीपीटी की मदद से लिखी जा चुकी हैं। खास बात है कि इस तरह की पुस्तकों की संख्या हर दिन बढ़ रही है।अभी तक, जीपीटी-3 माडल की क्षमताओं को दुनिया की कई प्रतिष्ठित और कठिन पेशेवर परीक्षाओं में भी परखा चुका है। इसमें यूएस मेडिकल लाइसेंसिंग एग्जाम, मल्टी स्टेट बार एग्जाम, यूनिवर्सिटी आफ पेंसिलवेनिया का बिजनेस एग्जाम और गूगल कोडिंग इंटरव्यू आदि शामिल हैं। जेनरेटिव एआइ का प्रयोग कंटेंट तैयार करने ही नहीं, बल्कि इमेज तैयार, साफ्टवेयर प्रोग्राम लिखने जैसे विविध कार्यों के लिए भी हो रहा है।
कितना बड़ा है बदलाव
यह दौर गूगल और माइक्रोसाफ्ट समेत दुनिया की सभी शीर्ष कंपनियां स्वीकार कर चुकी हैं कि वेब सर्च की दशकों पुरानी व्यवस्था बदलने जा रही है। दोनों ही कंपनियां एआइ के जरिये वेब को छानने और उससे प्राप्त अंश को यूजर्स के प्रश्न के जवाब के रूप में परोसने के प्रयास में जुटी हैं, बिल्कुल चैटजीपीटी की ही तरह।
माइक्रोसाफ्ट के सीईओ सत्य नडेला इस तकनीकी परिवर्तन के प्रभाव को उस व्यापकता में देखते हैं, जिस तरह स्मार्टफोन आने और ग्राफिकल यूजर इंटरफेस आने के बाद हुआ है। हालांकि, हर तरह का तकनीकी परिवर्तन अपने साथ कुछ चुनौतियां भी लाता है। जेनरेटिव एआइ के मामले में भी यह पूरी तरह से स्पष्ट होता जा रहा है। जानते हैं कुछ ऐसी ही आसन्न चुनौतियों को, जो एआइ के साथ निश्चित रूप से बढ़ेंगी।