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Chandrayaan 2 की फाइनल लैंडिंग 7 सितम्बर को, पीएम मोदी के साथ इन्हें मिला इवेंट देखने का मौका

Chandrayaan 2 लखनऊ की राशि वर्मा दिल्ली पब्लिक स्कूल की 10 वीं कक्षा की छात्रा चंद्रयान 2 की चांद पर लैंडिंग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देखने वाली है।

By Sakshi PandyaEdited By: Updated: Sat, 31 Aug 2019 06:25 PM (IST)
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Chandrayaan 2 की फाइनल लैंडिंग 7 सितम्बर को, पीएम मोदी के साथ इन्हें मिला इवेंट देखने का मौका
नई दिल्ली, टेक डेस्क। Chandrayaan 2 के भारत के मिशन को लेकर अब तक कई अपडेट्स आ चुकी हैं। कुछ ही दिनों में चंद्रयान 2 चांद पर लैंड करने वाला है। लखनऊ की राशि वर्मा, दिल्ली पब्लिक स्कूल की 10 वीं कक्षा की छात्रा चंद्रयान 2 की चांद पर लैंडिंग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ देखने वाली है। चांद पर चंद्रयान 2 की लैडिंग को बेंगलुरु में 7 सितम्बर को देखा जाएगा। राशि को इस इवेंट के लिए ऑनलाइन क्विज के आधार पर सेलेक्ट किया गया है। ऑनलाइन क्विज के आधार पर हर राज्य से दो विद्यार्थियों को इस इवेंट को देखने के लिए सेलेक्ट किया जा रहा है।

चंद्रयान 2 स्पेसक्राफ्ट ने सफलतापूर्वक 20 अगस्त को लूनर ऑर्बिट में प्रवेश कर लिया था। भारत का दूसरा बड़ा मून मिशन चंद्रयान 2 अब 1 सितम्बर को अगले लूनर ऑर्बिट में प्रवेश करेगा। इसके बाद रविवार को स्पेसक्राफ्ट फाइनल ऑर्बिट में प्रवेश करेगा। यह मून के सरफेस से लूनर पोल के ऊपर सेसे करीब 100km की दूरी पर निकलेगा। ISRO ने कहा है की लैंडर 2 सितम्बर को ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और मून के आस-पास 100km X 30km में प्रवेश करेगा। इसके बाद 7 सितम्बर 2019 को यह मून के साऊथ पोलर रीजन में सॉफ्ट लैंड करेगा।

ISRO के चेयरमैन ने कहा है की चंद्रयान 2 स्पेसक्राफ्ट की मून पर सॉफ्ट लैंडिंग बहुत बड़ा पल होने वाला है, क्योंकि ISRO ने ऐसा पहले कभी नहीं किया है। स्पेसक्राफ्ट की हेल्थ को लगातार मॉनिटर किया जा रहा है। Chandrayaan-2 सेटेलाइट ने 14 अगस्त को अपनी यात्रा की शुरुआत की थी। ISRO के अनुसार, चंद्रयान 2 के साथ भारत का मिशन मुख्य टेक्नोलॉजीज का निर्माण करना और उन्हें खोजना है। इसमें सॉफ्ट लैंडिंग और लूनर सरफेस पर चक्कर लगाना या घूमना भी सम्मिलित है। विज्ञान के परिप्रेक्ष्य से इस मिशन का लक्ष्य मून के बारे में अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करना है। इसके जरिए स्थलाकृति, खनिज विज्ञान, सतह रासायनिक संरचना, थर्मो-भौतिक विशेषताओं और वातावरण के बारे में गहन अध्धयन किया जाएगा। इससे चांद के मूल और विकास के बारे में बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।