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मेटावर्स से बदलती मीडिया व एंटरटेनमेंट की दुनिया

डिजिटल दुनिया में बेशुमार क्षमताओं और संभावनाओं के कारण मेटावर्स का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। वर्चुअल मूवी थियेटर 360 डिग्री वीडियो इमर्सिव इन्फोटेनमेंट अब हमारे जीवन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। जानते हैं मीडिया और एंटरटेनमेंट की दुनिया को मेटावर्स कैसे और कितना बदल रहा है...

By Jagran NewsEdited By: Siddharth PriyadarshiUpdated: Tue, 20 Dec 2022 09:11 PM (IST)
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Changing world of media and entertainment from Metaverse

नई दिल्ली, ब्रह्मानंद मिश्र। 2022 की शुरुआत में भारत के पहले मेटावर्स कंसर्ट में जब मशहूर पंजाबी गायक दलेर मेंहदी ने प्रदर्शन किया, तो कुछ ही देर में दुनियाभर से बेशुमार फैंस इसका हिस्सा बन गये। एक ही समय में दो करोड़ से अधिक लोगों के जुड़ने की वजह से सर्वर डाउन हो गया। मेंहदी भले ही मेटावर्स में प्रदर्शन करने वाले पहले भारतीय कलाकार हैं, लेकिन इससे पहले ट्रैविस स्काट, जस्टिन बीबर जैसे अनेक कलाकार मेटावर्स में प्रदर्शन कर बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित कर चुके हैं। दरअसल, कंटेंट को देखने और उससे जुड़ने का यह एक ऐसा माध्यम है, जिससे आडियंस को एक नये तरह का अनुभव (फिजिकल और डिजिटल) प्राप्त होता है।

एक जीवंत डिजिटल दुनिया

मेटावर्स इंटरनेट का ऐसा विकसित रूप है, जिसके जरिये हम जीवंत डिजिटल दुनिया में प्रवेश करते हैं। आग्युमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी के प्रयोग से यूजर उस आभासी दुनिया का हिस्सा बन जाते हैं, जहां सब कुछ वास्तविक जैसा प्रतीत होने लगता है। मेटावर्स का अनेक क्षेत्रों में प्रयोग हो रहा है, जिससे काम करने के तरीकों में बदलाव आ रहा है। म्यूजिक, वीडियो गेम, थीम पार्क और सिनेमा जैसे एंटरटेनमेंट में तो इसका आकर्षण और उपयोगिता बेमिसाल है। दुनियाभर में लोगों की डिजिटल माध्यमों पर जिस तरह से मौजूदगी बढ़ रही है, उससे मेटावर्स जैसी तकनीक का व्यापक होते जाना स्वाभाविक ही है। यही कारण है कि मीडिया और एंटरटेनमेंट जगत में नवाचार की यह प्रक्रिया तेज हुई है।

और आकर्षक होगा सिनेमा

सिनेमा के अनुभव बिल्कुल वास्तविक जैसा बनाने के लिए फिल्म निर्माता व निर्देशक आग्युटेंडेट और वर्चुअल रियलिटी का प्रयोग करने लगे हैं। वीडियो गेम बनाने में इस्तेमाल होने वाली अनेक तकनीकों का इस्तेमाल अब फिल्म निर्माण में भी होने लगा है। आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से सिनेमा को नया रूप दिया जा सकता है, जहां आप पात्रों से बिल्कुल आमने-सामने मिल सकेंगे। तकनीक की मदद से निर्देशक 360 डिग्री में फुटेज तैयार कर सकते हैं, ताकि दर्शक महसूस करें कि वे भी एक्शन का हिस्सा हैं। इससे कहीं से भी बैठकर आप वर्चुअल लोकेशन का हिस्सा बन सकते हैं।

वर्चुअल कंसर्ट में भागीदारी

घर के सोफे पर बैठकर आप अपने पसंदीदा कलाकार के वीआर कंसर्ट का हिस्सा बन सकते हैं। एआर और वीआर के जरिये स्टेज की व्यवस्था और कलाकार की प्रस्तुति को आकर्षक बनाया जाता है। इससे जुड़कर यूजर को लगता है कि वे वास्तविक आयोजन का ही हिस्सा हैं। बड़ी संख्या में इस तरह के कार्यक्रम भी आयोजित होने लगे हैं। फोर्टनाइट और रोबलोक्स जैसे आनलाइन गेम प्लेटफार्म वर्चुअल कंसर्ट का आयोजन कर रहे हैं। कंसर्ट में शामिल लोग अपने अवतार के जरिये भागीदारी करते हैं। इससे लाखों की संख्या में लोग जुड़ रहे हैं। आने वाले समय में इस तरह के मेटावर्स कार्यक्रमों की संख्या और बढ़ेगी।

नये रूप में थीम पार्क

थीम पार्क मनोरंजन के स्थान होते हैं और मेटावर्स के जरिये आप आनलाइन इन पार्कों का दौरा कर सकते हैं। साल 2005 में बंद हो चुके अमेरिकी थीम पार्क एस्ट्रोवर्ल्ड ने इस वर्ष मेटावर्स में वर्चुअल थीम पार्क के रूप में वापसी की है। आनलाइन टिकट खरीदकर आप इसमें प्रवेश कर सकते हैं। वाल्ट डिज्नी ने भी वर्चुअल थीम पार्क के शुरुआत की घोषणा की है। यूनिवर्सल स्टूडियो हालीवुड मारियो कार्ट थीम राइड जापान से आयात करेगा, जो आग्युमेंटेड रियलिटी के जरिये एक आभासी व्यवस्था तैयार करता है, जिसमें यूजर वर्चुअल कैरेक्टर से मिल सकते हैं।

कुछ बाधाएं भी हैं इस राह में

आकर्षक और उपयोगी होने के बावजूद मेटावर्स को लेकर कई सवालों का समाधान अभी बाकी है। वास्तविक मेटावर्स वास्तविक जैसा और थ्रीडी है, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष उपकरणों (जैसे वर्चुअल रियलिटी हेडसेट) की जरूरत होती है जो महंगा होने की वजह से आम लोगों की पहुंच से दूर है। दूसरी चिंता, इस प्लेटफार्म पर कंटेंट की सुरक्षा को लेकर है। इसे लेकर कोई नियमन या व्यवस्थित दिशा-निर्देश नहीं है। चूंकि यह स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म जैसी व्यवस्था नहीं है, ऐसे में इसका सब्सक्रिप्शन माडल क्या होगा, यह भी स्पष्ट नहीं है। फिर भी, इस तकनीक ने संभावनाओं की जो राह दिखाई है, वह बेमिसाल है।

-4.3 लाख करोड़ का होगा भारत का मीडिया और मनोरंजन उद्योग 2026 तक (ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म पीडब्ल्यूसी के मुताबिक)

-27 प्रतिशत लोगों का जन्म हुआ 1997 के बाद कुल वैश्विक आबादी में। इस पीढ़ी की डिजिटल पर निर्भरता कहीं अधिक है।

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