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6 GHz बैंड को लाइसेंस फ्री करने से टेलीकॉम कंपनियों को 5G और 6G रोलआउट करने में होगी परेशानी : COAI

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट (DOT) को पत्र लिखकर 6GHz स्पेक्ट्रम को लाइसेंस फ्री न करने का आग्रह किया है। COAI में देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां Airtel Jio और Vi शामिल हैं। टेलीकॉम इंडस्ट्री बॉडी ने पत्र में कहा कि 6Ghz बैंड देश एडवांस 5G और 6G सर्विस को शुरू करने में काफी मददगार होगा।

By Subhash GariyaEdited By: Subhash GariyaUpdated: Tue, 15 Aug 2023 07:00 PM (IST)
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COAI ने DOT से 6Ghz स्पेक्ट्रम को नीलामी में शामिल करने का अनुरोध किया है।

नई दिल्ली, टेक डेस्क। टेलीकॉम इंडस्ट्री बॉडी सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट (DOT) को एक पत्र लिखकर आग्रह किया है कि 6 Ghz बैंड स्पेक्ट्रम को लाइसेंस मुक्त करने से देश में 5G एडवांस और 6G सेवाएं को रोल आउट करने में बाधा आएगी।

DOT सचिव अपूर्व चंद्रा को 10 अगस्त को लिखे पत्र में, COAI ने आग्रह किया है कि 6Ghz स्पेक्ट्रम को नीलामी में शामिल करने का अनुरोध किया है। COAI के सदस्यों में Airtel, Jio, Vi शामिल हैं। COAI का कहना है कि 6 GHz बैंड IMT (इंटरनेशनल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशंस) के लिए मिड-बैंड में उपलब्ध एकमात्र एडिशनल स्पेक्ट्रम था, जो पहले से ही नीलामी में रखा गया था।

सीओएआई के महानिदेशक एसपी कोचर ने कहा,

यह भारत में 6G की शुरूआती रोडमैप सहित 5G और उससे आगे की टेक्नोलोजी के डेवलपमेंट के लिए महत्वपूर्ण है। यह स्पेक्ट्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि देश Bharat 6G के लिए एक एक्शन प्लान तैयार कर रहा है।

उद्योग निकाय ने विभाग को अपने पत्र के जरिए यह भी बताया है कि 6 GHz बैंड को मुफ्त में उपलब्ध कराने की वाईफाई सेवा प्रदाताओं की मांग पर ध्यान देने से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होगा। एसपी कोचर आगे कहते हैं,

हम समझते हैं कि कुछ उद्योग निकायों ने मांग की है कि देश में वाईफाई सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए इस बैंड को लाइसेंस मुक्त किया जाए। हमारा मानना है कि इस बैंड से देश में 5G सेवाओं को और दुरुस्थ और कुशलता से यूज किया जा सकता है।

उद्योग निकाय ने अपने पत्र में यह भी बताया है कि WiFi की टॉप स्पीड 5GHz और 6 GHz बैंड में 9.6 gbps पर समान रहेगी, जिससे यूजर्स को कोई खास बेनिफिट नहीं होगा। इसके साथ ही, 6GHz या उससे जुड़े किसी बैंड को लाइसेंस फ्री करने से 5G के लिए स्पेक्ट्रम कम हो जाएंगे। इससे 5G+ और Bharat 6G की ग्रोथ सीमित हो जाएगी।