हर दिन भेजी जाती हैं 4 लाख खतरनाक फाइलें, विड़ोज यूजर्स पर सबसे ज्यादा है खतरा
नई रिपोर्ट से पता चला है कि साइबर क्रिमिनल हर रोज लगभग 4 लाख फाइल्स भेजते है ताकि वे लोगों के डाटा को प्रभावित कर सकें। इस डाटा की मानें तो पिछले साल से आंकडें 5% बढ़ें है। आइये इनके बारे में जानते हैं।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिससे जानकारी मिली है कि साइबर अपराधी हर रोज औसतन 4 लाख नई मलिशियस फाइल्स को वितरित करते हैं। Kaspersky के सुरक्षा सिस्टम्स ने पिछले 10 महीनों में हर दिन वितरित की गई औसतन 400,000 नई खतरनाक फाइलों की खोज की। बता दें कि ये पिछले वर्ष की तुलना में 5% की बढ़ोतरी की जानकरी देते हैं।
रिसर्चर्स ने यह बताया गया कि कुछ प्रकार के खतरों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई, जिसमें प्रतिदिन पाए जाने वाले रैंसमवेयर के अनुपात में 181% की वृद्धि दर्ज की। बता दें कि ये आंकड़े कैस्पर्सकी के वार्षिक सुरक्षा बुलेटिन का हिस्सा हैं, जो साइबर सुरक्षा उद्योग में प्रमुख बदलावों पर पूर्वानुमान और विश्लेषणात्मक रिपोर्ट पेश करता है। कुल मिलाकर, Kaspersky के सिस्टम ने 2022 में लगभग 122 मिलियन खतरनाक फाइलों का पता लगाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6 मिलियन अधिक थी।
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रैंसमवेयर अटैक में हुई बढ़ोतरी
Kaspersky के रिसर्चर्स ने बताया कि रैंसमवेयर के रेशियो में भी पिछले साल की तुलना में हर दिन 181% की वृद्धि देखी गई है। कंपनी के सुरक्षा सॉल्यूशंस हर दिन औसतन 9,500 एन्क्रिप्टिंग फाइल्स का पता लगाते हैं। रैंसमवेयर के अलावा Kaspersky ने उन मलिशियस प्रोग्राम की डाउनलोडर्स की हिस्सेदारी में 142% की वृद्धि दर्ज की, जो प्रभावित उपकरणों पर मैलवेयर या अनवॉन्टेड एप्लिकेशन के नए वर्जन को इस्ट्रॉल करते हैं।
विंडोज यूजर्स को सबसे अधिक खतरा
मिली जानकारी के अनुसार विंडोज हमलों के लिए सबसे टार्गेटेड प्लेटफॉर्म बना रहा हैष रिसर्चर्स ने बताया कि उन्होंने लगभग 320,000 दुर्भावनापूर्ण फाइलों खोजी हैं, जिसने विंडोज उपकरणों को लक्षित किया है। बता दें कि ये खोजी गई सभी दुर्भावनापूर्ण फ़ाइलों का 85% हिस्सा है। इसके अलावा इन फाइलों ने माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस फॉर्मेट को भी में प्रभावित किया है और इससे जुड़ी मालिशियस फाइलों की संख्या हर दिन दोगुनी हो रही है।
साइबर अटैक के लगातार टार्गेट बनें एंड्रॉयड डिवाइस
2022 में Kaspersky के रिसर्चर्स ने Android प्लेटफ़ॉर्म को टार्गेट करने वाली फ़ाइलों की हिस्सेदारी में 10% की वृद्धि दर्ज की। जिसके बाद एंड्रॉयड यूजर्स साइबर अपराधियों के लगातार लक्ष्य बन गए हैं।
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