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Digital Personal Data Protection Bill 2023: यहां जानिए डेटा प्रोटेक्शन बिल से जुड़े सारे सवालों के जवाब

Digital Personal Data Protection Bill 2023 India (DPDP Bill 2023) केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार (3 अगस्त) को लोकसभा में डाटा प्रोटेक्शन बिल 2023 पेश किया। नए गोपनीयता कानून से सोशल मीडिया कंपनियों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। जब भी कोई कंपनी किसी शख्स की निजी जानकारी को इकट्ठा करना चाहेगी तो इसके लिए उसे उस शख्स से इजाजत लेनी होगी।

By Anand PandeyEdited By: Anand PandeyUpdated: Fri, 04 Aug 2023 03:07 PM (IST)
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Digital Personal Data Protection Bill 2023 why it is important and how will it ensure online data safety

नई दिल्ली, टेक डेस्क। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 को 3 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया। बता दें, केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार (3 अगस्त) को लोकसभा में डाटा प्रोटेक्शन बिल 2023 पेश किया। नए डाटा प्रोटेक्शन बिल से सरकार सोशल मीडिया कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगा सकेगी।

क्या है डेटा प्रोटेक्शन बिल (What is Data Protection Bill)

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 (DPDP) को नई दिल्ली में संसद के मानसून सत्र के दौरान गुरुवार 3 अगस्त को लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के संबद्ध मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा पेश किया गया था। नए गोपनीयता कानून से सोशल मीडिया कंपनियों पर अंकुश लगाने और उनके आक्रोश को रोकने में मदद मिलेगी। जब भी कोई कंपनी किसी शख्स की निजी जानकारी को इकट्ठा करना चाहेगी तो इसके लिए उसे उस शख्स से इजाजत लेनी होगी।

कानून तोड़ने पर लगेगा जुर्माना

नए डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 के तहत, यूजर्स के डिजिटल डेटा का दुरुपयोग करने या उसकी सुरक्षा करने में विफल रहने वाली कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। नियम तोड़ने वाली कंपनी पर 250 करोड़ रुपये से ज्यादा और कम से कम 50 करोड़ रुपये से कम का जुर्माना लगाया जा सकता है।

बिल के तहत डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड क्या है

बिल एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (DPB) के गठन की अनुमति देता है, जो डेटा उल्लंघनों की किसी भी शिकायत के लिए उपाय प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होगा। विधेयक बोर्ड को "सार्वजनिक हित" में किसी भी कंटेंट को हटाने, या किसी डिजिटल मध्यस्थ को ब्लॉक करने की सिफारिश करने की शक्ति भी देता है।

इस तरह के प्रावधान से इंटरनेट और सोशल मीडिया कंपनियां काफी हद तक प्रभावित होंगी। व्यक्तिगत डाटा (Personal Data) को केवल व्यक्ति की सहमति से वैध उद्देश्यों (lawful purposes) के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

आपको जानकारी के लिए बता दें इस बिल पर काम पिछले साल 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुआ था। इस बिल का मकसद इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल एप, और निजी कंपनियों को राइट टू प्राइवेसी के तहत नागरिकों की जानकारी के संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के बारे जवाबदेह बनाना है।

यूजर्स के डिजिटल डेटा का दुरुपयोग करने या उसकी सुरक्षा करने में विफल रहने वाली कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

सरकारी एजेंसियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर कानून से छूट मिलने की संभावना है।

डाटा प्रोटेक्शन को लेकर अगर कोई कानून तोड़ता है तो संबंधित व्यक्ति अदालत जा सकता है। इसके जरिए लोगों को अपने डाटा कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार होगा।

इस विधेयक के अनुसार, अगर कोई प्लेटफॉर्म किसी व्यक्ति का पर्सनल डाटा जमा करना चाहता है तो उसे पहले संबंधित व्यक्ति या संस्थान को नोटिस देना होगा। इस नोटिस में उसे संबंधित व्यक्ति के डाटा का विवरण और उसे इसकी जरूरत क्यों है, इसकी जानकारी भी देनी होगी।

यूजर्स का इस बात पर पूरा कंट्रोल होना चाहिए कि उनका डेटा कहां स्टोर किया जा रहा है। इसके साथ ही पर्सनल डेटा किसी भी समय डिलीट करने का अधिकार होगा। इंटरनेट पर गलत पहचान, वित्तीय लाभ के लिए पर्सनल डेटा के इस्तेमाल से प्राइवेसी के अधिकार को खतरा रहता है।

संयुक्त राष्ट्र व्यापार एजेंसी अंकटाड के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 70% देशों में डेटा सुरक्षा के लिए किसी न किसी प्रकार का कानून है। चीन और वियतनाम सहित कई देशों ने हाल ही में विदेशों में व्यक्तिगत डेटा के हस्तांतरण को कंट्रोल करने वाले कानूनों को कड़ा कर दिया है।