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क्या आप भी करते हैं Incognito mode को सेफ समझने की भूल, यहां भी हो सकता है आपके साथ खेल

Incognito Mode का इस्तेमाल खासतौर से ऐसे यूजर्स करते हैं जो चाहते हैं कि उनकी ब्राउजिंग हिस्ट्री को कोई न देख पाए और गूगल के पास भी वह सेव न हो। इस मोड में नॉर्मल ब्राउजिंग की तरह हिस्ट्री सेव नहीं होती है और न ही कुकिज फॉर्म डेटा पासवर्ड और टेम्परेरी डेटा की जानकारी गूगल अपने पास सेव करता है।

By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Sun, 12 May 2024 05:00 PM (IST)
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क्या वाकई सेफ है इनकॉग्निटो मोड, जानिए
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। प्राइवेसी और सिक्योरिटी हर किसी के लिए सबसे जरूरी चीज है और कई बार हमारी छोटी-छोटी गलतियों के कारण प्राइवेसी खतरे में पड़ जाती है। डेटा लीक होने का खतरा पैदा हो जाता है। लेकिन इस बचने के लिए कुछ यूजर्स इनकॉग्निटो मोड का इस्तेमाल करते हैं।

उन्हें लगता है कि यहां सर्च करने से सिक्योरिटी रिस्क कम हो जाता है और वे कुछ भी बिना हिस्ट्री सेव हुए ही सर्च कर पाते हैं। लेकिन वाकई ऐसा है? अगर हां तो फिर इनकॉग्निटो मोड में डेटा लीक होने का खतरा क्यों बना रहता है। यहां इसी के बारे में बताने वाले हैं।

क्या सेफ है इनकॉग्निटो मोड

इनकॉग्निटो मोड का इस्तेमाल खासतौर से ऐसे यूजर्स करते हैं जो चाहते हैं कि उनकी ब्राउजिंग हिस्ट्री को कोई न देख पाए और गूगल के पास भी वह सेव न हो। इस मोड में नॉर्मल ब्राउजिंग की तरह हिस्ट्री सेव नहीं होती है और न ही कुकिज, फॉर्म डेटा, पासवर्ड और टेम्परेरी डेटा की जानकारी गूगल अपने पास सेव करता है।

नॉर्मल ब्राउजिंग की तुलना में इसे सेफ माना जा सकता है। लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि इसमें यूजर्स के डिवाइस हैक होने का खतरा खत्म हो जाता है।

हिस्ट्री सेव होती है या नहीं

भले ही आप सर्च के लिए इस मोड का इस्तेमाल क्यों न करें। लेकिन हैकर्स फिर भी आपके डिवाइस को निशाना बना सकते हैं। इनकॉग्निटो मोड को मैलवेयर या किसी दूसरी संदिग्ध चीजों के बचने के लिहाज से डिजाइन नहीं किया गया है।

बल्कि, इसका मकसद यूजर्स के डेटा को टेम्परेरी रूप से सेव नहीं करना है। यानी यहां कुछ भी सर्च करिए हिस्ट्री तुरंत ही डिलीट हो जाती है। जबकि नॉर्मल ब्राउजिंग करने पर हिस्ट्री सेव होती रहती है। इस मोड में ब्राउजिंग करने के कई सारे फायदे हैं। इसलिए आपने ध्यान दिया होगा।

पब्लिक प्लेस या साइबर कैफे वगैरह में इसी मोड का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ यूजर्स की गलतफहमी होती है कि उनका डेटा इनकॉग्निटो में बिल्कुल सेफ रहता है। लेकिन, असल में ऐसा होता नहीं है बल्कि DNS Cache के जरिये हैकर्स आसानी से आपकी ब्राउजिंग हिस्ट्री को चेक कर सकते हैं। भले ही इनकॉग्निटो मोड को प्राइवेट कहा जाता है। लेकिन यह पूरी तरह से सेफ नहीं है।

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