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Jio, Airtel और VI की बढ़ी मुसीबत! Starlink का लॉन्च नजदीक; कब मिलेगा सैटेलाइट इंटरनेट?

एलन मस्क के स्टारलिंक के लिए भारत में एंट्री की उम्मीद बढ़ गई है। लंबे समय से स्टारलिंक और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के बीच डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी रिक्वायरमेंट्स पर सहमित को लेकर बात अटकी हुई थी। हालांकि अब रिपोर्ट के मुताबिक स्टारलिंक ने इन शर्तों को मान लिया है। जिसके बाद सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा लाइसेंस ऐप्लिकेशन का आगे बढ़ना तय हो गया है।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Mon, 11 Nov 2024 05:00 PM (IST)
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स्टारलिंक के लिए भारत में राहें आसान हो गई हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। एलन मस्क की स्टारलिंक (Starlink) के लिए भारत में राहें आसान हो गई हैं। देश में स्टारलिंक के सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा लाइसेंस ऐप्लिकेशन का आगे बढ़ना लगभग तय हो गया है। स्टारलिंक ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) की ''डेटा लोकलाइजेशन और सिक्योरिटी रिक्वायरमेंट्स'' को मान लिया है। इन दोनों ने सिक्योरिटी से जुड़ी कई चीजों पर सहमति व्यक्त की है। कुछ दिन से यह मामला सहमित पर अटका हुआ था।

स्टारलिंक के लिए राहें आसान

स्टारलिंक और जेफ बेजोस के कुइपर के भारत में एंट्री करने में यही एक बड़ी बात थी, जो अब स्टारलिंक ने स्वीकार कर ली है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने दिशा-निर्देशों में कहा है कि भारत में जो भी सैटेलाइट कंपनी काम करेगी। उसे डेटा देश के भीतर ही स्टोर करना होगा।

ध्यान देने वाली बात है कि भारत सरकार की तरफ से भले ही स्टारलिंक के लिए रास्ते खोल दिए गए हैं, लेकिन स्टारलिंक ने अभी तक इस पर अपनी बात नहीं रखी है।

इस मामले में भी खुले रास्ते

स्टारलिंक ने स्पेस रेगुलेटर भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के पास भी आवेदन किया था, जो रिपोर्ट के मुताबिक आगे बढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टारलिंक की सर्विस शुरू होने की उम्मीद इस साल नहीं की जा सकती। क्योंकि TRAI द्वारा मूल्य निर्धारण और स्पेक्ट्रम आवंटन नियम स्थापित करने के बाद ही सर्विस शुरू होंगी। उम्मीद है कि दिसंबर तक TRAI मूल्य निर्धारण और स्पेक्ट्रम आवंटन नियम तय कर सकती है।

निजी ऑपरेटरों की बढ़ी मुश्किलें

स्टारलिंक के भारत आने को लेकर जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने नाराजगी जताई है। जियो और एयरटेल नीलामी के जरिए स्पेक्ट्रम के आवंटन पर जोर दे रहे हैं। इनका मानना है कि नीलामी के जरिए पुराने ऑपरेटर्स को भी समान अवसर उपलब्ध होना चाहिए, जो स्पेक्ट्रम खरीदते हैं और टेलीकॉम टावर जैसे बुनियादी ढ़ांचे स्थापित करते हैं। हालांकि इस पर स्टारलिंक का कहना है कि उसकी सर्विस टेलीकॉम कंपनियों से अलग है।

नहीं होगी नीलामी

हाल ही में संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक इंटरव्यू में कहा कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा, न कि नीलामी की जाएगी। इस बयान के बाद तो एयरटेल और जियो के लिए और भी परेशानी खड़ी हो गई है, जबकि इससे स्टारलिंक के लिए रास्त पहले से आसान हो गया है।

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