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Elon Musk की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस Starlink की इंडिया लॉन्चिंग को लेकर आया बड़ा अपडेट, जानें खास बातें

Elon Musk की सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस Starlink भारत में जल्द शुरू हो सकती है। कंपनी ने भारत में अपनी सर्विस शुरू करने के लिए पिछले महीने टेलीकॉम डिपार्टमेंट में लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो टेलीकॉम डिपार्टमेंट अगले महीने एलन मस्क की कंपनी के लाइसेंस आवेदन पर विचार कर सकता है। इससे पहले कंपनी ने 2021 में भी आवेदन किया था।

By Subhash GariyaEdited By: Subhash GariyaUpdated: Thu, 24 Aug 2023 09:00 PM (IST)
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एलन मस्क की सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस Starlink को जल्द ही लाइसेंस मिल सकता है।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। एलन मस्क (Elon Musk) की सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड सर्विस Starlink को भारत में जल्द ही लाइसेंस मिलने की उम्मीद है। स्टारलिंक की मूल कंपनी स्पेसएक्स ने पिछले साल दूरसंचार विभाग (डीओटी) में ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कॉम्युनिकेशन सैटेलाइट (GMPCS) के लिए लाइसेंस का आवेदन किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में स्टारलिंक को लाइसेंस देने के लिए DoT अधिकारी 20 सितंबर को बैठक कर सकते हैं। दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, जिसका आवेदन विचाराधीन है।

लंबे समय से इंतजार कर रही कंपनी

स्टारलिंक दुनियाभर के 32 देशों में अपनी सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस मुहैया करवा रही है। कंपनी पिछले लंबे समय से भारत में एंट्री की कोशिश कर रही है।

एक बार लग चुकी है फटकार

इससे पहले कंपनी ने 2021 में, बिना लाइसेंस हासिल किए है प्री-ऑर्डर लेने शुरू कर दिए थे। इसे लेकर कंपनी को दूरसंचार विभाग से फटकार भी लगी थी। इसके साथ ही कंपनी को प्री-ऑर्डर करने वाले ग्राहकों को पैसे वापस करने पड़े थे।

Airtel और Jio भी कर रहे हैं तैयारी

एयरटेल ने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए Oneweb के साथ मिलकर काम कर रही है। कंपनी को लाइसेंस भी मिल चुका है। इसके साथ ही मीडिया में खबरें हैं कि Jio के स्वामित्व वाले जियो स्पेस टेक्नोलॉजी को भी जीएमपीसीएस लाइसेंस मिल चुका है।

ओटीटी ऐप्स पर भी लगेगी लगाम!

स्टारलिंक के लाइसेंस के अलावा टेलीकॉम डिपार्टमेंट देश में जल्द ही ओटीटी ऐप्स को लाइसेंसिंग नियमों के तहत लाने पर भी विचार कर रहा है। इन ऐप्स में Google Meet, WhatsApp, Telegram और दूसरी इंटरनेट पर काम करने वाली वॉइस और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म शामिल हैं।

क्यों है ऐप्स को रेगुलेट की जरूरत?

इंटरनेट बेस्ड वॉइस और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को लाइसेंसिंग के दायरे में लाने को लेकर कई तर्क सामने आए हैं। इनमें प्रमुखता से कहा जा रहा है कि अशांत क्षेत्र में कानून व्यवस्था को सुचारू करने के लिए पूर्ण इंटरनेट शटडाउन के बजाय ऐप्स को रेगुलेट करना बेहतर विकल्प हो सकता है।