फेसबुक का खुलासा: इस तरह मिलता है फेसबुक को न इस्तेमाल करने वाले यूजर्स का डाटा
फेसबुक ने इस बात का खुलासा किया है कि क्यों वो उन यूजर्स की जानकारी को भी एक्सेस करता है, जो फेसबुक के यूजर नहीं है।
नई दिल्ली(टेक डेस्क)। दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने इस बात का खुलासा किया है कि क्यों वो उन यूजर्स की जानकारी को एक्सेस करता है, जो फेसबुक के यूजर नहीं है। इससे पहले फेसबुक की तरफ से इस मामले पर कहा गया था कि कंपनी सुरक्षा कारणों से ऐसा करती है, लेकिन अब इस मामले में दूसरा पहलु भी सामने आया है, जहां कंपनी इसे व्यापार के मकसद से भी इस्तेमाल कर रही है।
फेसबुक के मुताबिक कई एप्स या वेबसाइट्स उसकी सर्विस का इस्तेमाल करती हैं। ये वेबसाइट्स यूजर्स को तुरंत अकाउंट बनाने में मदद करती हैं, ताकि वो अपने कंटेंट को फेसबुक पेज पर लेख या Behind the scenes के माध्यम से शेयर कर सकें। फेसबुक इन एप्स और वेबसाइट्स की परफॉर्मेंस और सटीक विज्ञापन को बढ़ावा देने में मदद करता है।
ये वेबसाइट्स और एप्स विजिट करने वाले यूजर्स की जानकारी फेसबुक को भेजते हैं। फेसबुक के मुताबिक इन यूजर्स में उन लोगों की जानकारी भी फेसबुक को मिलती है, जो उसके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर रहे होते हैं। फेसबुक के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन एप्स या वेबसाइट्स को पता नहीं होता कि यूजर फेसबुक के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा है या नहीं।
इससे पहले फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने माना था कि फेसबुक उन लोगों के डेटा को भी ट्रैक करती है, जो फेसबुक का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
आपको दिखने वाले विज्ञापन के पीछे इन तरीकों का होता है इस्तेमाल
कैटेगरीफेसबुक या अन्य किसी भी प्लेटफॉर्म पर जब आप लॉग इन करते हैं, तो आपकी कई जानकारियों को संबंधित प्लेटफॉर्म, विज्ञापनदाताओं के साथ साझा करता है। आपकी जानकारियों के मुताबिक एडवरटाइजर्स आपको कई श्रेणियों में बांटतें हैं। इन श्रेणियों में आपकी आदतों, पसंद और खरीदारी के आधार पर आपको डाला जाता है। इस प्रणाली से विज्ञापनदाता आपको टारगेट करते हैं।
डायनेमिक्स एड
फेसबुक ने हाल में एक नए तरफ की विज्ञापन प्रणाली को शुरू किया है। इस प्रणाली में उन यूजर्स को टारगेट किया जाता है जो किसी सामान में अपनी रूची को जाहिर कर चुके होते हैं। डायनेमिक्स एड में रीटारगेटिंग(Retargeting) तरीके का इस्तेमाल किया जाता है, जो कई बार यूजर्स के लिए परेशानी का सबब भी बन जाता है।
आसान भाषा में समझाएं तो मान लीजिए आपने एक पर्स ऑनलाइन वेबसाइट पर देखा। अब आपको पर्स पसंद आया कि नहीं या आप उसे खरीदना चाहते हैं कि नहीं ये जाने बिना विज्ञापन का एल्गोरिथ्म ऐसा सेट होता है कि अब उसी पर्स को विज्ञापन आपको दूसरी वेबसाइट्स पर दिखने लगेगा। डायनेमिक एड इस प्रणाली को एक कदम ऊपर ले जाते हुए आपको उसी पर्स पर 10 फीसदी डिस्काउंट जैसे कूपन दिखाने लगेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियां इन विज्ञापन के जरिए तीन गुना तक का रेवेन्यु जनरेट कर लेती हैं।
कस्टम ऑडियंस
इस प्रणाली में एडवरटाइजर उन यूजर्स को टारगेट करते हैं जो पहले ही उनके किसी प्रोडक्ट को खरीद चुके हों या फिर उनके वेबसाइट्स पर आ चुके हों। इस प्रणाली में एडवरटाइजर्स डाउनलोड किए गए एप्स या फिर आपके ईमेल आईडी के जरिए आप तक पहुंचते हैं। उदाहरण के लिए, मान लिजिए आपने नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन ले रखा है, ऐसे में जब आप फेसबुक पर लॉग-इन करेंगे तो आपके नेटफ्लिक्स पर आने वाले दूसरे कार्यक्रम का विज्ञापन देखने को मिल सकता है। या आपने घड़ी खरीदने के लिए किसी वेबसाइट्स या एप में अपनी ई-मेल आईडी का इस्तेमाल किया है, तो आपको अपने मेल में उसी घड़ी से संबंधित दूसरे प्रोडक्ट्स के एड दिखेंगे। इस प्रणाली का फेसबुक पर काफी इस्तेमाल होता है, जिसकी मदद से विज्ञापनदाता दूसरे देशों में आसानी से अपनी ऑडियंस को खोज पाते हैं।
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