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जर्मनी ने ड्रैगन को दिया जोरदार झटका, 5G वायरलेस नेटवर्क में चाइनीज डिवाइस किए बैन

जर्मनी ने चीन को तगड़ा झटका दिया है। अब देश के 5G वायरलेस नेटवर्क में चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए कॉम्पोनेंट्स को इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इस फैसले से Huawei और ZTE जैसी कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। एक हफ्ते पहले फॉक्सवैगन के स्वामित्व वाली एक कंपनी की बिक्री पर भी जर्मनी ने रोक लगा दी थी। जिसका चाइना ने खूब विरोध किया।

By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 12 Jul 2024 02:00 PM (IST)
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जर्मनी के 5G वायरलेस नेटवर्क में से चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए डिवाइस हटा दिए जाएंगे।
एएनआई, नई दिल्ली। जर्मनी अगले पांच सालों के भीतर अपने 5G वायरलेस नेटवर्क से चीनी कंपनियों Huawei और ZTE द्वारा बनाए गए कॉम्पोनेंट्स (डिवाइस) को हटाने की तैयारी में है। जर्मनी का कहना है कि अब 5G नेटवर्क को विस्तार देने के लिए अपने ही देश में बने कॉम्पोनेंट्स को प्रमुखता दी जाएगी।

जर्मनी की इंटीरियर मिनिस्टर नैन्सी फेसर ने कहा ऐसा करने के पीछे हमारा मकसद जर्मनी के सेंट्रल नर्वस सिस्टम की सुरक्षा करना है। हम लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रहे हैं। हम अपनी कंपनियों और राज्य के संचार की सिक्योरिटी के लिहाज से ऐसा करना जरूरी समझते हैं।

टेलिकम्युनिकेशन संचार को मजबूती देने पर जोर

CNN की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आगे कहा हमें सिक्योरिटी रिस्क को कम करने पर जोर देना चाहिए। इसके साथ ही एकतरफा निर्भरता से बचना चाहिए। जर्मन सरकार ने इस बयान में टेलिकम्युनिकेशन संचार को मजबूती देने पर भी जोर दिया। वोडाफोन, डॉयचे टेलीकॉम और टेलीफोनिका सहित मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर 2026 के अंत तक अपने 5G कोर नेटवर्क से Huawei और ZTE द्वारा बनाए गए कॉम्पोनेंट्स को हटाने को लेकर सहमत हो गए हैं।

2029 तक कॉम्पोनेंट्स हटाने का लक्ष्य

इनमें प्रमुख तौर पर वे कॉम्पोनेंट्स शामिल हैं जो इंटरनेट या कंट्रोल सेंटर को रूप में काम करते हैं। इसके अलावा, कहा गया कि इन कॉम्पोनेंट्स को 2029 के अंत तक ट्रांसमिशन लाइनों और टावरों जैसे 5G नेटवर्क से हटा दिया जाना चाहिए। इस बीच जर्मनी ने ये भी कहा कि देश में चीनी कंपनियों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा। उन्हें हर मदद दी जाएगी। कुछ लोगों का मानना है कि जर्मनी द्वारा लिया गया यह निर्णय दोनों देशों के बीच संबंधों को खराब कर सकता है।

कुछ दिन पहले लिया गया ये फैसला

पिछले सप्ताह जर्मनी ने अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए फॉक्सवैगन की सहायक कंपनी की बिक्री पर देश में रोक लगा दी थी। इसकी चीन ने जमकर आलोचना की थी। रिपोर्ट के अनुसार, चीन यूरोपीय संघ के साथ व्यापार विवाद में भी शामिल है, जिसने जून में चीनी इलेक्ट्रिक कारों पर टैरिफ बढ़ा दिया था।

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