Google, Amazon और Facebook यूजर्स के डाटा को सुरक्षित कराने के लिए उठा रहे हैं ये कदम
हाल ही में Microsoft ने एक शिपिंग कंटेनर की साइज का डाटा सेंटर स्कॉटलैंड के कोस्टल एरिया में स्थापित किया है। जिसका मकसद स्कॉटलैंड के कोस्टल कम्युनिटी को सुरक्षित और सुविधाजनक इंटरनेट की सुविधा मिलेगी
By Harshit HarshEdited By: Updated: Sun, 24 Feb 2019 11:48 AM (IST)
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। पिछले कुछ सालों से आम नागरिक के साथ ही कई देश की सरकारी संस्थाओं को भी इंटरनेट डाटा लीक होने से काफी नुकसान उठाना पड़ा है। Google, Amazon और Facebook समेत तमाम टेक्नोलॉजी कंपनियों को अपने डाटा को हैकर्स से बचाने के लिए कई बड़े कदम उठा रही हैं। ये कंपनियों कंज्यूमर के साथ-साथ क्रिटिकल डाटा को बड़े डाटा सेंटर में ग्लोबली स्टोर करती हैं जिसे बड़े पैमाने पर होने वाल साइबर अटैक से बचाना सबसे बड़ी चुनौती है। हाल ही में Microsoft ने एक शिपिंग कंटेनर की साइज का डाटा सेंटर स्कॉटलैंड के कोस्टल एरिया में स्थापित किया है। जिसका मकसद स्कॉटलैंड के कोस्टल कम्युनिटी को सुरक्षित और सुविधाजनक इंटरनेट की सुविधा मिलेगी।
आपको बता दें कि किसी भी IT कंपनी के लिए डाटा सेंटर एक केंद्र बिंदू होता है जहां IT कंपनियां अपने डाटा ऑपरेशन और इक्विपमेंट के साथ ही स्टोर भी करते हैं। इसकी वजह से इन डाटा सेंटर पर साइबर अटैक की संभावना सबसे ज्यादा होती है। आमतौर पर इन डाटा सेंटर पर यूजर्स डाटा का बैकअप ऑटोमैटिकली होता है इनपर फिजिकल अटैक होने की संभावना साइबर अटैक के मुकाबले कम होती है।
कई तकनीकी जानकारों के मुताबिक आईटी कंपनियां इन डाटा सेंटर्स की फिजिकल सिक्योरिटी पर ज्यादा ध्यान देते हैं लेकिन इन डाटा सेंटर्स पर साइबर अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है। दुनिया की जानी मानी टेक्नोलॉजी कंपनी Google ने अपने डाटा सेंटर के लिए अलग से एक कस्टम सर्वर का निर्माण किया है। साथ ही इन डाटा को बाहर बेचना और बांटना नामुमकिन है।
कंपनी के एक बयान के मुताबिक, हमने अपने डाटा सेंटर के लिए किसी भी तरह का अनावश्यक हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर नहीं रखा है जिसकी वजह से इस तरह के साइबर अटैक की संभावना बहुत कम रह जाती है। इसके साथ ही ऐसी घटना होने पर रोबस्ट डिजास्टर रिकवरी पैमाना भी रखा गया है। उदाहरण के तौर पर आग लगने या किसी प्राकृतिक आपदा के दौरान Google अपने डाटा को किसी दूसरे डाटा सेंटर में ऑटोमैटिकली शिफ्ट कर लेता है।
इसके अलावा कंपनी के मुताबिक इमरजेंसी पावर जेनरेटर्स की मदद से पावर फेल होने कि स्तिथि में भी डाटा सेंटर को बैकअप मिलता रहेगा। अन्य टेक कंपनियां भी इसी तरह से आपके डाटा को इमरजेंसी की स्तिथि में शिफ्ट कर लेते हैं। ये कंपनियां अपने हर डाटा सेंटर के लोकेशन को ट्रेक करके हार्ड ड्राइव की स्तिथि का भी पता लगाते रहते हैं।अगर किसी कारणवश हार्ड ड्राइव खराब हो जाता है तो ये कंपनियां अपने हार्ड ड्राइव को नष्ट कर देते हैं ताकि किसी भी कारणवश डाटा का एक्सेस नहीं किया जा सके। इन डाटा सेंटर को सुरक्षित बनाने के लिए कंपनियां आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रही है क्योंकि हैकर्स अब इन डाटा सेंटर को साइबर अटैक के जरिए टारगेट कर रहे हैं।
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