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Google Kanatar: न्यूज क्वालिटी और भरोसेमंद कंटेंट के लिए ऑनलाइन न्यूज सब्सक्रिप्शन लेना चाहते हैं भारतीय पाठक

Google Kanatar की 2023 में शुरू इंडियन लैंग्वेज अंडरस्टैंडिंग इंडियाज डिजिटल न्यूज कंज्यूमर स्टडी से पता चलता है कि 7 में से 1 यूजर पैसा देकर न्यूज कंटेंट पढ़ना चाहते हैं। इस स्टडी से पता चलता है कि 67 फीसदी रीडर न्यूज क्वालिटी और भरोसेमंद कंटेंट के लिए ऑनलाइन न्यूज सब्सक्रिप्शन लेना चाहते हैं। न्यूज सब्सक्रिप्शन खरीदने वाले यूजर्स की उम्र 25 से 55 वर्ष के बीच में है।

By Jagran News Edited By: Subhash Gariya Updated: Tue, 06 Aug 2024 08:56 PM (IST)
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सात में से एक यूजर ऑनलाइन न्यूज सब्सक्रिप्शन खरीदने के लिए हैं तैयार (Photo: Freepik)

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। भारत में न्यूज रीडर्स की पसंद और प्राथमिकता तेजी से बदल रही है। अब उन्हें भरोसेमंद, इन-डेप्थ और स्पेशलाइज्ड कंटेंट चाहिए। इस तरह के मनपसंद कंटेंट के लिए वे पैसे चुकाने के लिए भी तैयार हैं।

2023 में शुरू Google Kanatar ने इंडियन लैंग्वेज अंडरस्टैंडिंग इंडियाज डिजिटल न्यूज कंज्यूमर स्टडी शुरू की। इसके मुताबिक, 7 में से एक यूजर ऑनलाइन न्यूज का सब्सक्रिप्शन लेने को तैयार है। न्यूज पब्लिशर वेबसाइट या एप) तक पहुंचने वाले यूजर्स में यह आंकड़ा 1.5 गुना है। 

कैसा कंटेंट चाहता है रीडर

यह स्टडी बताती है कि 67 फीसदी रीडर न्यूज क्वालिटी और भरोसेमंद कंटेंट के लिए ऑनलाइन न्यूज सब्सक्रिप्शन लेना चाहते हैं। वहीं, 58 फीसदी रीडर चाहते हैं कि उन्हें खबरों सारी बारीकियां मिलें। साथ ही, वे इसमें खबर से जुड़े डिटेल आंकड़े भी चाहते हैं।

51 फीसदी पाठक स्पेशलाइज्ड कंटेंट के लिए पैसा देना चाहते हैं। मिसाल के लिए, अगर कोई हेल्थ का आर्टिकल है, तो रीडर चाहते हैं कि उन्हें आर्टिकल में जानकारी किसी हेल्थ एक्सपर्ट यानी डॉक्टर के हवाले से हो। इसी तरह शेयर मार्केट से जुड़ी खबरों में वे सेबी रजिस्टर्ड एनालिस्ट का हवाला चाहते हैं।

भ्रामक और सनसनीखेज खबरों से छुटकारा

दिल्ली की 30 साल की एक महिला बताती हैं कि उन्हें कोरोना महामारी के दौरान मैंने हेल्थ से जुड़ी खबरों का अपडेट पाने के लिए एक ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन लिया। मुझे उनकी खबरें काफी पसंद आई और मैंने महामारी के बाद सब्सिक्रिप्शन जारी रखा। इस तरह के करीब 60 फीसदी रीडर हैं, जो महामारी या युद्ध जैसी बड़ी घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट के लिए सब्सक्रिप्शन लेना चाहते हैं।

साथ ही, 43 फीसदी यूजर्स भ्रामक खबरों का फैक्ट चेक करने के लिए न्यूज पब्लिशर्स को पैसे देना चाहते हैं। जैसे कि पिछले दिनों सोशल मीडिया पर आईटीआर रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन बढ़ने की खबर फैली थी। रीडर न्यूज प्लेटफॉर्म को चेक करके वेरिफाई करना चाहते हैं कि यह खबर सही या फिर नहीं।

किन खबरों के लिए पैसा देना चाहते हैं रीडर

गूगल-कंतार की रिपोर्ट बताती है कि रीडर ज्यादातर राजनीति, राष्ट्रीय घटनाओं और खेल से जुड़ी खबरों के लिए सब्सक्रिप्शन लेना चाहते हैं। अगर सब्सक्रिप्शन लेने के इच्छुक लोगों के जेंडर की बात करें, तो महिला और पुरुष के बीच रेशियो 60:40 का है। इनकी उम्र 25 से 55 साल के बीच है।

फ्री रीडर्स को सब्सक्राइबर्स में बदलना बड़ी चुनौती

Google-Kantar की स्टडी में उन चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है, जो ऑनलाइन न्यूज पब्लिशर  को फ्री यूजर्स को सब्सक्राइबर में बदलने में आती हैं। सबसे बड़ी चुनौती सब्सक्रिप्शन की कीमत तय करना है। बजट और उचित कीमत के बाद भी समाचार के लिए सब्सक्रिप्शन दूसरे प्लेटफार्म से महंगा हो जाता है। क्योंकि कई न्यूज एप फ्री में कंटेंट उपलब्ध करवाने के लिए तैयार हैं।

इसके साथ ही यूजर्स के लिए पर्सनलाइज्ड सब्सक्रिप्शन विकल्प का अभाव भी बड़ी परेशानी है। अधिकतर न्यूज वेबसाइट अपने पूरे कंटेंट का सब्सक्रिप्शन ऑफर करते हैं। कुछ यूजर्स सिर्फ अपनी पसंद की खबरों के लिए पैसा देना चाहते हैं। इसके साथ ही यूजर्स चाहते हैं कि उनका सब्सक्रिप्शन फ्लैक्सीबल हो और वे जब चाहे इसे कैंसिल करवा पाएं।