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Google Apple Search Engine Deal: गूगल ने एपल को दिए 1.7 लाख करोड़ रुपये, जानिए क्या है डिफॉल्ट सर्च इंजन डील

गूगल ने एपल के वेब ब्राउजर सफारी में डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने के लिए कंपनी को 20 बिलियन डॉलर करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये का भुगतान (Google Apple Search Engine Deal) किया है। साल 2002 से एपल के डिवाइस iPhone iPad में सफारी ब्राउजर का डिफॉल्ट सर्च इंजन गूगल है। अमेरिकी कोर्ट में चल रहे इस केस पर साल के अंत तक फैसला आ सकता है।

By Subhash Gariya Edited By: Subhash Gariya Updated: Thu, 02 May 2024 07:07 PM (IST)
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Apple डिवाइस में 2002 से गूगल है डिफॉल्ट ब्राउजर
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। गूगल की पेरेंट कंपनी Alphabet Inc ने एपल के Safari ब्राउजर में डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने के लिए जमकर पैसा दिया है। ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि गूगल ने एपल को इसके लिए 20 बिलियन डॉलर (करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये) दिए हैं। यह जानकारी गूगल के कोर्ट में जमा किए डॉक्यूमेंट के जरिए सामने आई है।

अमेरिका में Google पर सर्च इंजन में मोनोपोली के लिए केस चल रहा है। गूगल पर आरोप हैं कि उसने सर्च इंजन और वेब एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में एकाधिकार जमाने के लिए अपनी स्थिति का दूरुपयोग किया है।

इससे पहले नवम्बर में गूगल ने कोर्ट को बताया था वह सफारी सर्च से होने वाली कमाई का कुल 36 प्रतिशत भुगतान एपल को करता है। अब कंपनी का कहना है कि उसने 20 बिलियन डॉलर का भुगतान किया।

Google और Apple के बीच डील

एपल के डिवाइसेस- iPhone, iPad, Mac और दूसरे डिवाइस में साल 2002 में Google डिफॉल्ट सर्च इंजन है। Apple और Google ने सर्च इंजन एग्रीमेंट के तहत इस डील को गुप्त रखा था। हालांकि यह जानकारी सार्वजनिक है कि गूगल हर साल एपल को डिफॉल्ट सर्च इंजन के लिए अरबों रुपये का भुगतान कर रहा है।

कई देशों में एपल के डिवाइसेस में गूगल डिफॉल्ट सर्च इंजन है। हालांकि, यूजर्स को Yahoo, Bing, DuckDuckGo, और Ecosia जैसे विकल्प मिलते हैं।

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यूरोप में मिलता है डिफॉल्ट ब्राउजर चुनने का ऑप्शन

यूरोप में डिजिटल मार्केट एक्ट लागू होने के बाद Apple को ब्राउजर में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया। आईफोन यूजर्स को डिफॉल्ट ब्राउजर चुनने का भी ऑप्शन मिलता है। इसके साथ ही एपल अमेरिका में यूजर्स को कुछ और भी फीचर्स देता है।

अगर गूगल यह केस हार जाता है तोApple और Google के बीच में यह डील खत्म हो जाएगी। इस केस में गुरुवार और शुक्रवार को क्लोजिंग स्टेटमेंट दर्ज होने हैं। संभव है कि कोर्ट इस मामले में 2024 के अंत में अपना फैसला सुना सकती है।

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