अब पहले से ज्यादा सिक्योर हुआ Google Play Protect मैलवेयर डिटेक्शन फीचर, रियल टाइम स्कैन करेगा खतरनाक ऐप
Google Play Protect New Update Google Play प्रोटेक्ट मैलवेयर डिटेक्शन फीचर को पिछले महीने कंपनी के Google for India 2023 इवेंट में पेश किया गया था। यह फीचर यूजर्स की एक्टिविटी को रोकने या ट्रैक करने वाले ऐप को पता लगाता है और उसे ब्लॉक करता है। प्ले प्रोटेक्ट के साथ Google के स्कैनर खतरनाक ऐप्स की पहचान करने के लिए रियल टाइम कोड-बेस्ड स्कैनिंग करने में सक्षम होंगे।
By Anand PandeyEdited By: Anand PandeyUpdated: Mon, 06 Nov 2023 04:30 PM (IST)
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। Google Play प्रोटेक्ट को हाल ही में एक पॉवरफुल रीयल-टाइम स्कैनर के साथ अपडेट किया गया था, जिसका काम को प्ले स्टोर के बाहर इन्स्टॉल किए गए ऐप्स से बचाना था। कंपनी यूजर्स को फेक ऐप और मालवेयर से बचाने के लिए कई नए फीचर पर काम कर रही है।
एक नई रिपोर्ट के अनुसार एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर्स को ऐप इन्स्टॉल करने से पहले उन्हें एक चेतवानी दी जाएगी। अगर फोन में कोई मालवेयर ऐप है तो उसके बारे में भी यूजर्स को जानकारी दी जाएगी।
Google Play Protect मैलवेयर डिटेक्शन फीचर क्या है?
Google Play प्रोटेक्ट मैलवेयर डिटेक्शन फीचर को पिछले महीने कंपनी के Google for India 2023 इवेंट में पेश किया गया था। यह फीचर यूजर्स की एक्टिविटी को रोकने या ट्रैक करने वाले ऐप को पता लगाता है और उसे ब्लॉक करता है। ये नया फीचर लोन ऐप को भी ब्लॉक करने में सक्षम था। आसान भाषा में कहें तो ये नया फीचर ऐप इन्स्टॉल करने से पहले उस ऐप को स्कैन करता है और अगर वो मालवेयर ऐप निकलती है तो यह उसे ब्लॉक कर देता है।
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गूगल प्ले प्रोटेक्ट में हुए हैं बड़े अपडेट
प्ले प्रोटेक्ट में सुधार के साथ , Google के स्कैनर खतरनाक ऐप्स की पहचान करने के लिए रियल टाइम कोड-बेस्ड स्कैनिंग करने में सक्षम होंगे। जब कोई ऐप स्कैन किया जाता है, तो यह सर्विस स्कैन के लिए ऐप से महत्वपूर्ण सिग्नल कंपनी के स्कैनिंग सिस्टम के साथ शेयर करेगी।
ये भी पढ़ें: WhatsApp ने शुरू किया ईमेल अकाउंट वेरिफिकेशन फीचर, अब बिना नंबर OTP कर सकेंगे वॉट्सऐप अकाउंट लॉगिनयह यूजर्स को खतरनाक डेवलपर्स से बचाने में मदद करेगा जो अपने ऐप्स में खतरनाक कोड को अस्पष्ट करने के लिए एआई का इस्तेमाल करते हैं। बता दें, भारत जैसे देशों में ऐसे कई लोन देने वाले ऐप्स में भी बढ़ोतरी देखी गई है जो यूजर के कॉन्टैक्ट सहित उनके स्मार्टफ़ोन से डेटा का इस्तेमाल करके जबरन वसूली करने के लिए जाने जाते हैं।