शिकायत के 24 घंटे के अंदर हटाना होगा डीपफेक कंटेंट, सरकार ने इंटरनेट कंपनियों के लिए जारी किए निर्देश
Rashmika Mandanna Deepfake Video Case इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 24 घंटे के भीतर डीपफेक सामग्री को हटाने के लिए फेसबुक इंस्टाग्राम और यूट्यूब सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को सलाह जारी की है। यह बात अभिनेत्री रश्मिका मंदाना के डीप फेक के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने के एक दिन बाद आई है। आइए जानते हैं सरकार ने क्या कहा है।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को यूजर द्वारा रिपोर्ट की गई किसी भी डीपफेक कंटेंट को हटाने की एडवायजरी जारी की है। सरकार ने साफ कहा है कि ऐसा न करने पर भारतीय कानूनों के तहत आपराधिक और न्यायिक कार्यवाही की जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 24 घंटे के भीतर डीपफेक कंटेंट को हटाने के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को सलाह जारी की है। यह बात अभिनेत्री रश्मिका मंदाना के डीप फेक के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने के एक दिन बाद आई है।
डीपफेक के खिलाफ सरकार का कड़ा कदम
मंत्रालय ने इस साल फरवरी में प्लेटफार्मों के लिए इसी तरह की सलाह जारी की थी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, एडवाइजरी में मौजूदा कानूनी प्रावधानों को दोहराया गया है जिनका पालन प्लेटफॉर्म को ऑनलाइन मध्यस्थों के रूप में करना होगा।
इसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 डी का उल्लेख किया गया है, जिसमें कंप्यूटर संसाधनों का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी करने पर तीन साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
मंदाना की डीपफेक वीडियो हुआ था वायरल
मंदाना की डीपफेक वीडियो इंस्टाग्राम जैसी साइटों पर वायरल है, जहां उसके चेहरे को एक वीडियो में बदल दिया गया है, जिसमें एक महिला लिफ्ट से बाहर निकल रही थी।
ये वीडियो एक इंडियन-ब्रिटिश सोशल मीडिया सेलिब्रेटी का है और इसे पिछले महीने इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया था। कल राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार लोगों के लिए सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कही ये बड़ी बात
राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2021 के तहत किसी भी यूजर द्वारा गलत सूचना के प्रसार को रोकना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए एक कानूनी दायित्व है। यूजर या सरकार से रिपोर्ट प्राप्त होने पर 36 घंटे के भीतर ऐसी कंटेंट को हटाना अनिवार्य है। इस आवश्यकता का पालन करने में विफलता नियम 7 को लागू करती है, जो पीड़ित व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत अदालत में जाने का अधिकार देता है। यह जरूरी है कि प्लेटफॉर्म इस खतरे से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाएं।
इस वजह से सरकार उठा रही कड़े कदम
डीपफेक किसी व्यक्ति या संगठन की प्रतिष्ठा के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। इनका इस्तेमाल किसी स्थिति के बारे में गलत सूचना फैलाने या किसी व्यक्ति को परेशान करने के लिए भी किया जा सकता है। इस मामले में, MeitY की कार्रवाई से संकेत मिलता है कि सरकार इस मुद्दे को अधिक महत्व दे रही है, खासकर जब 2024 में चुनाव होने वाले हैं।