देश में लगेंगे तीन और नये सेमीकंडक्टर यूनिट, 1.26 लाख करोड़ रुपये का होगा निवेश
सरकार ने गुरुवार को 1.26 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ गुजरात और असम में तीन सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इसके लिए तीन कंपनियों को चुना गया है। जिसमें से एक टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड है। इसके अलावा दूसरा प्लान्ट टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाया जाएगा। आइये इनके बारे में जानते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देर आयद, दुरूस्त आयद। ताइवान, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के मुकाबले भारत ने देरी से तो सेमीकंडक्टर संयंत्र लगाने की शुरूआत की है लेकिन गुरुवार (29 फरवरी, 2024) को केंद्र सरकार ने एक साथ तीन सेमीकंक्टर यूनिट (फैब) लगाने का फैसला कर यह दिखाया है कि भारत भी इस उद्योग में एक बड़ी शक्ति के तौर पर स्थापित होने जा रहा है। पिछले वर्ष अमेरिकी कंपनी माइक्रोन भारत में सेमीकंडक्टर यूनिट लगाने वाली पहली कंपनी बनी थी।
हर साल होगा 2602 करोड़ चिप्स का निर्माण
पीएम नरेद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में दो सेमीकंडक्टर यूुनिट गुजरात में और एक असम में लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इन तीनों फैब केंद्रों से कुल 2602 करोड़ चिप्स का निर्माण सालाना होगा जिससे ना सिर्फ घरेलू इलेक्टि्रक वाहन, आटोमोबाइल, घरेलू इलेक्टि्रक उपकरण, दूरसंचार, रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को पर्याप्त मात्रा में, आसानी से व किफायती कीमत पर चिप्स की आपूर्ति होगी बल्कि वैश्विक चिप्स बाजार में भारत की शुरुआत होगी।
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इन तीन शहरों में लगेगी यूनिट
कैबिनेट ने जो प्रस्ताव मंजूर किये हैं उनमें पहला टाटा समूह व ताइवान कंपनी पावरचिप (पीएसएमसी) का धोलेरा (गुजरात) में लगाया जाने वाला प्लांट है। इसकी निर्माण क्षमता 300 करोड़ चिप की है। इसमें कुल 91,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।दूसरा प्रस्ताव असम के मोरीगांव में लगाने से संबंधित है जिसे टाटा समूह की कंपनी टाटा सेमीकंडक्टर एसेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (टीएसएटी) एक बड़ी आटोमोबाइल कंपनी के साथ मिल कर लगाएगी। इस कंपनी का नाम नहीं बताया गया है। इस पर कुल 21,000 करोड रुपये का निवेश होगा और इसकी क्षमता 1752 करोड़ चिप्स सालाना की होगी।
तीसरा प्लांट सीजी पावर और जापान की रेनेसा इलेक्ट्रोनिक्स कार्पोरेशन संयुक्त तौर पर लगाएंगे। यहां सालाना 500 करोड़ चिप्स बनाने की होगी। इसकी खासियत यह होगी यह बेहद संवेदनशील उद्योगों के लिए जैसे रक्षा, अंतरिक्ष, इलेक्टि्रक वाहनों, हाइस्पीड ट्रेनों के लिए चिप्स का निर्माण किया जाएगा। इसमें 7600 करोड़ रुपये का निवेश होगा।