PM-Kisan scheme को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने लॉन्च किया AI chatbot, ऐसे उठाएं इसका लाभ
AI chatbot को कृषि सचिव मनोज आहूजा और अतिरिक्त कृषि सचिव प्रमोद मेहरदा की उपस्थिति में कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी द्वारा लॉन्च किया गया। कार्यक्रम के दौरान मेहरदा ने चैटबॉट की विशेषताओं और यह किसानों के लिए कैसे फायदेमंद है। आपको बता दें कि AI chatbot को एकस्टेप फाउंडेशन ( EkStep foundation) और भाषिनी (Bhashini) के सहयोग से विकसित और बेहतर बनाया गया है।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार को पीएम-किसान योजना(PM-Kisan scheme) के लिए एक एआई चैटबॉट(AI chatbot) लॉन्च किया है। आधिकारिक बयान के मुताबिक ये चैटबॉट फिलहाल अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, उड़िया और तमिल में उपलब्ध है। इसे जल्द ही देश की सभी 22 आधिकारिक भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जाएगा। आइए, इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
AI chatbot क्या है?
AI chatbot को कृषि सचिव मनोज आहूजा और अतिरिक्त कृषि सचिव प्रमोद मेहरदा की उपस्थिति में कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी द्वारा लॉन्च किया गया। कार्यक्रम के दौरान, मेहरदा ने चैटबॉट की विशेषताओं और यह किसानों के लिए कैसे फायदेमंद है, इस पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।
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मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एआई चैटबॉट लॉन्च पीएम-किसान योजना की दक्षता और पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक "महत्वपूर्ण" कदम है। इसकी मदद से देश के किसान अपने प्रश्नों के लिए "त्वरित, स्पष्ट और सटीक" प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकेंगे।
PM-Kisan scheme के लिए कैसे काम करेगा AI chatbot?
AI chatbot को एकस्टेप फाउंडेशन ( EkStep foundation) और भाषिनी (Bhashini) के सहयोग से विकसित और बेहतर बनाया गया है। पीएम-किसान शिकायत प्रबंधन प्रणाली में एआई चैटबॉट की शुरूआत का उद्देश्य किसानों को उपयोगकर्ता के अनुकूल और सुलभ मंच के साथ सशक्त बनाना है। विकास के पहले चरण में एआई चैटबॉट किसानों को उनके आवेदन की स्थिति, भुगतान विवरण, अपात्रता की स्थिति और अन्य योजना-संबंधित अपडेट से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में सहायता करेगा
पीएम-किसान मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से सुलभ एआई चैटबॉट भाषिनी के साथ एकीकृत है, जो पीएम-किसान लाभार्थियों की भाषाई और क्षेत्रीय विविधता को पूरा करते हुए बहुभाषी सहायता प्रदान करता है। उन्नत प्रौद्योगिकी के इस एकीकरण से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि किसानों को सूचित निर्णय लेने में भी मदद मिलेगी।