विज्ञापन की मदद से यूजर्स का डाटा चुरा रहे हैं हैकर्स, यहां जानिए आखिर कैसे कर रहे हैं ये काम
हैकिंग की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। अभी खबर आ रही है कि हैकर्स यूजर्स के डाटा को चुराने के लिए Google Ads का इस्तेमाल कर रहे हैं। आइये इसके बारे में जानते हैं। कि कैसे हैकर्स इसकी मदद से ऐसा कर रहे हैं। ( जागरण फोटो)
By Ankita PandeyEdited By: Ankita PandeyUpdated: Sat, 04 Feb 2023 06:53 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। जानकारी मिली है कि हैकर्स यूजर्स का डाटा चुराने के लिए या मैलवेयर फैलाने के लिए गूगल एड नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। साइबर अटैक कैंपेन, जिसे मालवर्टाइजिंग कहा जाता है, आज कल काफी चर्चा में है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह एक वर्चुअलाइजेशन तकनीक का उपयोग करता है, जो मैलवेयर को एंटीवायरस प्रोग्राम द्वारा पकड़े जाने से बचता है। आइये इसके बारे में जानते हैं।
क्या है मालवर्टाइजिंग?
मालवर्टाइजिंग या दुर्भावनापूर्ण विज्ञापन एक प्रकार का साइबर हमला है, जिसमें हैकर्स डिजिटल विज्ञापनों में दुर्भावनापूर्ण कोड इंजेक्ट करके मैलवेयर वितरित करते हैं। इंटरनेट यूजर्स और प्रकाशकों दोनों के लिए संक्रमित विज्ञापनों का पता लगाना मुश्किल है। ये संक्रमित विज्ञापन कंज्यूमर्स को वैध विज्ञापन नेटवर्क के माध्यम से परोसे जाते हैं।
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कैसे हैकर्स चुरा रहे हैं यूजर्स की जानकारी?
हैकर्स KoiVM वर्चुअलाइजेशन तकनीक का लाभ उठाकर दुर्भावनापूर्ण इंस्टॉलर फैला रहे हैं, जो मैलवेयर को इंस्टॉल करते समय एंटीवायरस से बचने में सक्षम बनाता है। KoiVM एक प्लगइन है, जो एक प्रोग्राम के ऑपरेशन कोड को अस्पष्ट करता है, ताकि वर्चुअल मशीन केवल उन्हें समझ सकें। बता दें कि यह एक कंप्यूट रिसोर्स है, जो प्रोग्राम चलाने और ऐप्स को तैनात करने के लिए भौतिक कंप्यूटर के बजाय सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है।