Rashmika Mandanna Viral Video: रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो हो रहा वायरल, क्या AI को रेगुलेट करने की है जरूरत?
बॉलीवुड एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर अबतक 24 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। डीपफेक वीडियो ने इस बात पर बहस छेड़ दी है कि क्या ऐसी टेक्नोलॉजी के लिए AI को रेगुलेट करने की है जरूरत है। आइए आपको डीप फेक टेक्नोलॉजी के बारे में डिटेल से बताते हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने आम यूजर्स के जिंदगी में कई बदलाव किया है, उतना ही इस नई टेक्नोलॉजी ने खतरों को भी बढ़ा दिया है। पॉपुलर साउथ सेलिब्रिटी रश्मिका मंदाना की डीपफेक वीडियो (Rashmika Mandanna Deepfake Video) सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
वायरल हुए वीडियो में किसी और का चेहरा दिखाई दे रहा है। आइए आपको हम Deepfake टेक्नोलॉजी के खतरों के बारे में डिटेल से बताने वाले हैं।
रश्मिका मंदाना का ये वीडियो हो रहा वायरल
हाल ही में एक वीडियो ऑनलाइन वायरल हुआ है, जिसमें यूजर देख सकते हैं कि रश्मिका मंदाना लिफ्ट में प्रवेश करती हुई दिखाई दे रही हैं। हालांकि, बारीकी से जांच करने पर पता चला कि यह वीडियो फर्जी था और डिजिटल तरीके से छेड़छाड़ किया गया वीडियो था। वीडियो इतना रियल दिख रहा था कि यह कुछ ही घंटों में वायरल हो गया और माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर 2.4 मिलियन से अधिक बार देखा गया।
This is a deepfake video of Zara Patel.
Showing Rashmika Mandanna in a viral video.
pic.twitter.com/D4xqsjCg0l— Libs of Snapchat (@libsofsnapchat) November 6, 2023
डीप फेक टेक्नोलॉजी (Deep Fake) क्या है ?
डीप फेक से जुड़ी कई वीडियो हमने सोशल मीडिया पर वायरल होते देखी है। दरअसल, डीप फेक टेक्नोलॉजी की मदद से किसी दूसरे की फोटो या वीडियो पर किसी सेलिब्रिटी वीडियो के फ़ेस के साथ फ़ेस स्वैप कर दिया जाता है।
आसान भाषा में कहें तो इस टेक्नोलॉजी की मदद से AI का इस्तेमाल करके फेक वीडियो बनाई जाती हैं जो देखने में बिलकुल असली लगती है, लेकिन होती नहीं है या उसमें मौजूद व्यक्ति रियल में नहीं होता है। ये पूरी तरह से नकली वीडियो होता है, लेकिन इतना सच दिखाई देता है कि लोग इस पर आसानी से यकीन कर लेते हैं।
फेक पॉर्न वीडियो में होता है ज्यादा इस्तेमाल
पॉर्न वीडियो में भी इसका काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। एक ऑनलाइन आईडी प्रमाणित करने वाली सेनसिटी डॉट एआई (Sensity.ai) वेबसाइट के मुताबिक, 96 फीसदी डीपफेक अश्लील वीडियो हैं। इनको अकेले अश्लील वेबसाइटों पर 135 मिलियन से अधिक बार देखा गया है।
2017 में, "डीपफेक'' नाम के एक रेडिट यूजर ने पॉर्न के लिए एक फोरम बनाया, जिसमें अभिनेताओं के चेहरे की अदला-बदली की गई थी। उस समय से पॉर्न (रिवेंज पॉर्न) ने बार-बार खबरें बनाई हैं, जिससे मशहूर हस्तियों और प्रमुख हस्तियों की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचा है। डीपट्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में ऑनलाइन पाए गए डीपफेक वीडियो में 96% अश्लील वीडियो थी।
डीप फेक टेक्नोलॉजी (Deep Fake Technology) के नुकसान
किसी भी टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल खतरनाक साबित हो सकता है। डीपफेक तथा झूठी खबरें भी इसका एक उदाहरण हैं। इस टेक्नोलॉजी की मदद से किसी को बदनाम किया जा सकता है। डीपफेक का इस्तेमाल खास तौर से औरतों और लड़कियों को निशाना बनाती है।
किसी भी व्यक्ति की सोशल मीडिया प्रोफाइल से उसकी प्राइवेट फोटो लेकर उसके फेक पॉर्न वीडियो बनाए जा सकते हैं। किसी नेता का MMS बनाया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी की मदद से ऐसे भाषण के वीडियो जारी किए जा सकते हैं जो उसने कभी दिए नहीं है।