Hindi Diwas 2023: भाषा के विकास में कैेस मददगार है टेक्नोलॉजी,जानिए इसके साथ कैसे निखरेगी हिन्दी
Hindi Diwas 2023 ज्ञान-विज्ञान मातृभाषा में सुलभ हो तो करोड़ों भारतीय अनजान शब्दों पर अटकने के बजाय अपनी समझ और कौशल पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। दूसरी ओर स्वास्थ्य देखभाल बैंकिंग न्याय जैसी व्यवस्थाओं की भी सहजता बढ़ेगी। यह काम अब अलग-अलग तकनीकें करने लगी हैं। ये नई तकनीके भाषा के विकास में भी कारगर साबित हुई है। आइये इनके बारे में जानते हैं।
By Ankita PandeyEdited By: Ankita PandeyUpdated: Thu, 14 Sep 2023 07:00 AM (IST)
नई दिल्ली, ब्रह्मानंद मिश्र। Hindi Diwas 2023: भाषा ऐसा माध्यम है, जिसके माध्यम से सूचनाएं और संदेश यात्रा करते हैं। लेकिन जब भाषा ही बाधा बन जाए, तो हर तरह का ज्ञान और कौशल ठहर जाता है। तीन दशक पहले इंटरनेट ने जब दुनिया को बदलना शुरू किया, तो अंग्रेजी का पूरी तरह दबदबा था, इंटरनेट पर स्थानीय भाषाओं की मौजूदगी तीन प्रतिशत भी नहीं थी। लेकिन तकनीकी विकास ने जिस तरह स्थानीय भाषाओं को मजबूती दी, उसकी सबसे बड़ी लाभार्थी रही है हिंदी।
आज इंटरनेट पर प्रचुर मात्रा में और गुणवत्तापूर्ण हिंदी सामग्री उपलब्ध है। कभी जो कंप्यूटर और मोबाइल पैड केवल रोमन लिपि को समझते थे, वे अब हिंदी ही नहीं अन्य भारतीय भाषाओं से भी अच्छी तरह परिचित हो गए हैं। इंडिक कीबोर्ड और इनपुट टूल के विकास ने हिंदी को मजबूती दी है तो अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकें हिंदी से अनजान लोगों को भी इसे पढ़ने और लिखने में सुविधा देने लगी हैं। वर्ष 2014 के बाद से इंटरनेट पर हिंदी शब्दों की खोज की संख्या दो गुनी हो चुकी है। देवनागरी फांट का प्रयोग अब इतना सहज है कि प्रयोगकर्ता हिंदी सामग्री को खोजने और लिखने जैसे कार्य चुटकियों में कर सकते हैं।
हिंदी को नई दिशा देती तकनीक
तकनीक के इस दौर में हिंदी अभूतपूर्व तरक्की की राह पर है। कभी सिमटती संभावनाओं की भाषा समझी जानेवाली हिंदी आज हर एक इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म से लेकर ई-कामर्स तक, एडटेक से लेकर एंटरटेनमेंट प्लेटफार्म तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। अमेरिकी लैंग्वेज लर्निंग प्लेटफार्म ड्यूलिंगो पर दुनियाभर से हिंदी सीखने वालों की संख्या 84 लाख तक हो चुकी है।ड्यूलिंगो लर्नर्स के बीच भारत में हिंदी दूसरी और दुनियाभर में 10वीं सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा है। यह स्पोट्र्स, बिजनेस और टेक्नोलाजी जैसे अनेक क्षेत्रों में भारत की बढ़ती मजबूती ही है, जिससे दुनियाभर में हिंदी सीखने को लेकर जिज्ञासा बढ़ रही है। लोग हिंदी के जरिये भारत, इसकी भाषाओं और इसकी समृद्ध संस्कृति को खोज रहे हैं। इससे कल्पना कर सकते हैं कि आने वाले दस वर्षों में इंटरनेट पर हिंदी सामग्री की मांग किस स्तर पर होगी।
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एआई से मिलती हिंदी को ताकत
- गूगल ने हाल ही में अमेरिका के बाद भारत में एआइ आधारित सर्च की सुविधा शुरू की है। भारतीय यूजर के लिए नए सर्च लैब में खास तरह की सुविधाएं जोड़ी गई हैं। यदि अंग्रेजी में प्राप्त किसी खोज परिणाम को हिंदी में सुनना है, तो केवल लैंग्वेज स्विचर पर क्लिक करना होगा।
- इसी तरह के सवालों को टाइप करने के बजाय माइक्रोफोन सिंबल पर अपनी भाषा में बोलकर भी खोज सकते हैं। भारत में द्विभाषी लोगों के लिए नयी एआइ क्षमताओं को जोड़ा गया है। कैमरा और स्पीच रिकग्निशन माडल की शुरुआत गूगल पहले ही कर चुका है। गूगल सर्च लैब के जरिये हिंदी भाषी यूजर दायरे को बढ़ा रहा है, तो वहीं माइक्रोसाफ्ट हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रयोग में एआइ के प्रयोग के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
भाषिणी : भारत का अपना गूगल ट्रांसलेटर
- इंटरनेट पर भाषाई बाधा को दूर करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रानिक एवं आइटी मंत्रालय मिशन भाषिणी (भाषा-इंटरफेस) संचालित कर रहा है। यह तकनीक आम भारतीयों तक इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं को उनकी मातृभाषा में पहुंचा रही है।
- दूसरी ओर, वृहद लैंग्वेज डाटा तैयार किया जा रहा है, ताकि रिसर्चर इसका प्रयोग कर आर्टिफिशियल लैंग्वेज माडल विकसित कर सकें। इस तरह के नवाचार से बिल्कुल नए तरह के उत्पादों और सेवाओं का सृजन होगा। भाषिणी मिशन सभी भारतीयों के लिए समावेशी और सशक्त भविष्य की नींव तैयार कर रहा है।
मशीनी ताकत से भाषा समृद्धि
- आम भारतीयों की आवाज और उद्देश्यों को मशीन समझकर अनुवाद कर सके, इसके लिए नए टूल्स विकसित किए जा रहे हैं। एआई/मशीन लैंग्वेज, डाटा साइंस और एपीआइ उपयोग के मामले भाषिणी दुनियाभर में एक अनूठा उदाहरण है।
- मूल रूप से टेक्स्ट, स्पीच और वीडियो के जरिये एक भाषा का दूसरे भाषा में अनुवाद ही इसका मुख्य उद्देश्य है और इसके लिए आटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन (एएसआर), आप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (ओसीआर), नेचुरल लैंग्वेज अंडरस्टैंडिंग, मशीन ट्रांसलेशन (एमटी) और टेक्स्ट टू स्पीच (टीटीएस) जैसी तकनीकें प्रयोग में लाई जा रही हैं।
- भाषिणी का उद्देश्य स्वदेशी डीप टेक विकसित करने पर भी है, चाहे वह एलएलएम हो, एमटी या फिर टीटीए हो। वर्तमान में भाषिणी मोबाइल एप्लीकेशन एंड्रायड और आइओएस दोनों के लिए ही उपलब्ध है। इसके जरिए भारतीय भाषाओं का सहजता से अनुवाद किया जा सकता है।