आपका स्मार्टफोन बन सकता है आपकी जान का खतरा, इस कोड से करें चेक
क्या आप जानते हैं कि जिस मोबाइल ने हमारी जिंदगी को आसान बनाया है वही मोबाइल हमारे लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है
By Shilpa Srivastava Edited By: Updated: Mon, 22 Oct 2018 11:28 AM (IST)
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। स्मार्टफोन्स ने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है। स्मार्टफोन के जरिए कई काम आसानी से किए जा सकते हैं। चाहें सुबह जल्दी उठने के लिए अलार्म लगाना हो या फिर घर बैठे ऑनलाइन पेमेंट करना हो। फोन से लगभग हर काम किया जाने लगा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस मोबाइल ने हमारी जिंदगी को आसान बनाया है, वही मोबाइल हमारे लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। अगर नहीं तो इस पोस्ट में हम आपको एक अहम जानकारी देने जा रहे हैं जिसे नजरअंदाज करना आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
साइलेंट किलर होता है मोबइल:मोबाइल में जो रेडिएशन होती हैं वो व्यक्ति के दिमाग के साथ-साथ शरीर के लिए भी हानिकारक साबित हो सकती हैं। मोबाइल के रेडिएशन की वजह से ब्रेन कैंसर समेत बहरापन, सुनने में परेशानी, हार्ट फेलियर, न्यूरोडेगेनेरेटिव डिसऑर्डर जैसी कई सारी घातक बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए ही मोबाइल को एक साइलेंट किलर माना जाता है।
मोबाइल से जो रेडिएशन निकलती है उसे Specific Absorption Rate यानि SAR कहा जाता है। भारत में SAR 1.6 वॉट प्रति किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर यह इससे ज्यादा होता है तो यह यूजर के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए यूजर को अपने स्मार्टफोन से *#07# कोड डायल करना होगा। यहां आपको इससे संबंधित सभी जानकारी मिल जाएगी। ध्यान रहे कि अगर आपके स्मार्टफोन का SAR 1.6 वॉट प्रति किलो से ज्यादा है तो आपको फोन बदल लेना चाहिए।
कंपनियां मापती हैं रेडिएशन स्टैंडर्ड:
स्मार्टफोन निर्माता कंपनी मोबाइल बनाने के बाद उसे SAR को मापती हैं। इसे एक स्टेंडर्ड पैमाने पर मापा जाता है। आपको बता दें कि मार्केट में कई ऐसे ब्रैडेंड स्मार्टफोन्स हैं जो हाई रेडिएशन के साथ मार्केट में बेचे जा रहे हैं।यह भी पढ़ें:
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