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Budget 2024 : मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का हब कैसे बनेगा भारत, ICEA ने बजट से पहले सुझाया रास्ता

ICEA का कहना है कि अगर ग्लोबल वैल्यू चेंस (GVC) को लुभाना और प्रोडक्शन को बड़े पैमाने पर बढ़ाना है तो उन सभी शुल्क दरों को शून्य करना होगा जो लागत में उल्लेखनीय वृद्धि करती हैं। रिपोर्ट में प्रोडक्ट असेंबल करने में लगने वाले कलपुर्जे और कच्चे माल पर 2.5 प्रतिशत शुल्क दरें हटाने का भी सुझाव दिया गया है। ICEA का यह सुझाव बजट से ठीक पहले आया है।

By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 02 Jul 2024 07:27 PM (IST)
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कच्चे माल पर 2.5 प्रतिशत शुल्क दरें हटाने का भी सुझाव।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के शीर्ष निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने बजट (Budget 2024) से पहले में कच्चे माल पर शुल्क कम करने की मांग की है, ताकि भारत में कलपुर्जों के निर्माण का एक मजबूत इकोसिस्टम बन सके। इससे घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को भी वैश्विक कंपनियों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जुलाई के तीसरे हफ्ते में मोदी 3.0 का पहला बजट पेश करेंगी।

ICEA ने भारत सहित सात प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं में शुल्क दरों के अध्ययन के आधार पर यह सिफारिश की है। संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'कच्चे माल पर अगर शुल्क अधिक रहेगा, तो ग्रोथ का वह इंजन थम जाता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है। इससे निर्यात पर भी बुरा असर पड़ता है, क्योंकि कीमतें ग्लोबल मार्केट के लिहाज से प्रतिस्पर्धी हो ही नहीं पातीं। इससे अंतिम उत्पाद यानी मोबाइल का प्रोडक्शन कम हो जाता है।'

ICEA का कहना है कि इन सारी समस्याओं का इकलौता हल कच्चे माल पर शुल्क को कम करना होगा। संगठन ने कहा, 'हमारा मानना है कि घरेलू सप्लाई चेन विकसित करना काफी अहम है, लेकिन सही तरीका उच्च शुल्क दर से बचाव करना नहीं है। बल्कि इसके लिए उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाना होगा और जहां भी कमियां हैं, वहां प्रोत्साहन योजनाएं लाकर उसे दूर करने की जरूरत है।'

शुल्क शून्य करने का सुझाव

ICEA का कहना है कि अगर ग्लोबल वैल्यू चेंस (GVC) को लुभाना और प्रोडक्शन को बड़े पैमाने पर बढ़ाना है, तो उन सभी शुल्क दरों को शून्य करना होगा, जो लागत में उल्लेखनीय वृद्धि करती हैं। रिपोर्ट में प्रोडक्ट असेंबल करने में लगने वाले कलपुर्जे और कच्चे माल पर 2.5 प्रतिशत शुल्क दरें हटाने का भी सुझाव दिया गया है। ICEA ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'ये शुल्क दरें किसी मकसद को पूरा नहीं करतीं। उलटे इनसे मैन्युफैक्चरर्स की लागत और जटिलता बढ़ती है।