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इसरो बढ़ा रहा अपने कदम, जल्द दिखेंगे कई बड़े और साहसिक अभियान

नए साल की शुरुआत हो चुकी है और हर इंडस्ट्री एक नई योजना के साथ आगे बढ़ रही है। इसी सिलसिले को जारी रखते हुए ISRO ने भी 2023 में इस मिशन प्लान किया है। आज हम इसी पर बात कर रहे हैं। आइये इसके बारे में जानते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Ankita PandeyUpdated: Thu, 05 Jan 2023 08:47 AM (IST)
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ISRO planning new mission for this year, know the details
नई दिल्ली, ब्रह्मानंद मिश्र। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा आगामी महीनों में चंद्रयान-3, आदित्य एल-1 और गगनयान-1 समेत अनेक अभियानों को लांच किया जाएगा, तो स्पेस एप्लीकेशन में कुछ स्टार्टअप्स की सफल होती कहानियां भी दिखेंगी। जानते हैं 2023 में इसरो के प्रमुख अभियानों के बारे में...

गगनयान मिशन

डीआरडीओ और एचएएल के सहयोग से इसरो द्वारा देश का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान 2024 में प्रस्तावित है। उससे पहले मानवरहित अभियानों, गगनयान-1 और गगनयान-2 का परीक्षण होना है। साल के आखिरी महीनों में इसरो द्वारा गगनयान-1 के परीक्षण की उम्मीद है। इसके जरिये ह्यूमन-रेटेड लांच वेहिकल के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा। साथ ही, आर्बिटल प्रपल्सन सिस्टम, मिशन मैनेजमेंट, कम्युनिकेशन सिस्टम और रिकवरी आपरेशंस को भी परखा जाएगा। अभियान का दूसरा चरण यानी गगनयान-2 का परीक्षण 2024 के शुरुआती महीनों में होगा।

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आदित्य एल-1

इसरो और कई अन्य भारतीय शोध संस्थानों द्वारा विकसित किये जा रहे इस अभियान का परीक्षण मार्च 2023 में हो सकता है। इस अभियान का उद्देश्य सूर्य की भौतिकी और सौरमंडल में तारों के विकास की प्रक्रिया को समझना है। आदित्य-1 के कुल सात पेलोड होंगे, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और पार्टिकल डिटेक्टर से फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की बाहरी परत की जानकारी एकत्र करेंगे। एल-1 ऐसा बिंदु है, जहां से सौरतंत्र की गतिविधियों का बेहतर ढंग से लगातार अवलोकन किया जा सकता है।

चंद्रयान-3

इस साल के मध्य में जीएसएलवी एमके-3 के माध्यम से चंद्रयान-3 को लांच किया जा सकता है। चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान साल 2019 में चंद्रयान-2 क्रैश हो गया था। इसे देखते हुए पिछले दोनों अभियानों के मुकाबले इसरो रोवर की क्षमताओं को और बढ़ाने में लगा है। यह चंद्रमा की सतह के ऊपर पहले से मंडरा रहे पूर्ववर्ती आर्बिटर का प्रयोग करेगा। हालांकि, इस स्पेसक्राफ्ट की इंजीनियरिंग बिल्कुल अलग है और इसकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई तरह के सुधार किये गये हैं।

आरएलवी-एलईएक्स मिशन

एयरोनाटिकल टेस्ट रेंज, चित्रदुर्ग (कर्नाटक) से इसरो द्वारा रियूजेबल लांच वेहिकल का पहली बार रनवे लैंडिंग एक्सपेरिमेंट (आरएलवी-एलईएक्स) किया जाएगा। आरएलवी-टीडी की संरचना एयरक्राफ्ट जैसी है, जिसमें लांच वेहिकल तथा एयरक्राफ्ट दोनों की जटिलताओं को शामिल किया गया है। इसका प्रयोग फ्लाइंग टेस्ट बेड के रूप में हाइपरसोनिक फ्लाइट, आटोनामस लैंडिंग और पावर्ड क्रूज फ्लाइट तकनीकों के मूल्यांकन के लिए किया जायेगा।

एसएसएलवी और निजी क्षेत्र की भागीदारी

इसरो निजी क्षेत्र की एयरोस्पेस कंपनियों, विशेष स्टार्टअप्स को मार्गदर्शन और सहायता दे रहा है। इससे अरबों डालर का स्माल सेटेलाइट मार्केट निवेश आकर्षित होगा। बीते नवंबर में स्काइरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित भारत के पहले निजी क्षेत्र के राकेट विक्रम-एस का परीक्षण कर इसकी शुरुआत की गई थी। अर्थ इमेजिंग सेक्टर, छोटे सेटेलाइट के लिए राकेट को विकसित करने, सेटेलाइट के लिए सस्ता ईंधन तैयार करने जैसे कार्यों में निजी क्षेत्र की आने वाले महीनों में बड़ी भूमिका हो सकती है।

निसार मिशन

नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार यानी निसार मिशन दो अंतरिक्ष एजेंसियों का साझा अभियान है। इससे पृथ्वी की सतह पर होने वाले संचरनागत बदलावों को जानने में वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी। इस मिशन को इस वर्ष लांच किया जाएगा। हालांकि, इसकी कोई तिथि अभी घोषित नहीं की गई है। इसे पृथ्वी की कक्षा में 747 किमी. ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा, जिससे पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलाव, प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री जलस्तर, बर्फ की सघनता और भूजल से संबंधित जानकारियां प्राप्त की जा सकेंगी।

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