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आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने मेड इन इंडिया स्मार्टफोन को लेकर वित्त मंत्री को लिखा लेटर, इस मामले में पिछड़ने का डर

IT मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए एक गोपनीय पत्र लिखा है जहां उन्होंने अप्रतिस्पर्धी टैरिफ के कारण स्मार्टफोन प्रोडक्शन में देश के पिछड़ने की चिंता जताई है। इस लैटर में मेड इन इंडिया स्मार्टफोन पर प्रमुख रूप से जोर दिया गया है। उन्होंने कथित तौर पर लिखा भूराजनीतिक पुनर्गठन आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन से बाहर स्थानांतरित करने के लिए मजबूर कर रहा है।

By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 16 Feb 2024 02:45 PM (IST)
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IT मिनिस्टर ने मेड इन इंडिया स्मार्टफोन के संबद्ध में एक पत्र लिखा है।

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। भारत खुद को वैश्विक बाजार में प्रमुख स्मार्टफोन निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहता है। हालांकि इसमें देश के सामने चाइना और वियतनाम से पिछड़ने का जोखिम है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आईटी मिनिस्टर ने 'मेड इन इंडिया' स्मार्टफोन के संबध में एक पत्र लिखा है।

इसलिए लिखा गया अर्जेंट लैटर

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए एक गोपनीय पत्र लिखा है, जहां उन्होंने अप्रतिस्पर्धी टैरिफ के कारण स्मार्टफोन प्रोडक्शन में देश के पिछड़ने की चिंता जताई है। इस लैटर में 'मेड इन इंडिया' स्मार्टफोन पर प्रमुख रूप से जोर दिया गया है। यह पत्र 3 जनवरी को बताया जा रहा है।

कम करना चाहिए टैरिफ

इस रिपोर्ट के अनुसार आईटी मिनिस्टर ने लिखा है कि प्रमुख विनिर्माण स्थलों में सबसे अधिक टैरिफ के कारण भारत में उत्पादन लागत अधिक है। उन्होंने कथित तौर पर लिखा भूराजनीतिक पुनर्गठन आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन से बाहर स्थानांतरित करने के लिए मजबूर कर रहा है हमें अभी कार्रवाई करनी चाहिए।

अन्यथा की स्थिति वे वियतनाम, मैक्सिको और थाईलैंड में स्थानांतरित हो जाएंगे। इन्होंने लिखा कम टैरिफ के साथ वैश्विक कंपनियों को लुभाने के लिए तेजी से काम करना चाहिए।

स्मार्टफोन प्रोडक्शन प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य

मंत्री ने कथित तौर पर कहा कि भारत का मोबाइल फोन उत्पादन प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर से अधिक तक ले जाने का लक्ष्य है जिसमें से 50% निर्यात किया जाता है, एक नई रणनीति की जरूरत है। इन्होंने अपनी लैटर में कहा कि टैरिफ बाधा बन रहे हैं। हमें अपनी नई महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप टैरिफ नीति में बदलाव करने की जरूरत है।

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