न चाहकर भी हां कर देते हैं आप; कैसे डार्क पैटर्न में फंस रहे भोले-भाले लोग, कहीं आपके...
डार्क पैटर्न ज्यादातर लोगों के लिए एकदम नई चीज है। लेकिन जिन ऐप्स और वेबसाइट को आप रोजाना इस्तेमाल करते हैं वह भली-भांति इसके बारे में जानते हैं। इसमें भोले-भाले लोगों को गच्चा दिया जा रहा है। ई-कॉमर्स या दूसरी कंपनियां डार्क पैटर्न का जमकर इस्तेमाल करती हैं। ये नई बला क्या है और शॉपिंग करते वक्त किन जरूरी चीजों का ख्याल रखना चाहिए।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। खाना मंगाना हो या शॉपिंग करनी हो या फिर बात कैब सर्विस की ही क्यों न हो। हर बार ज्यादातर लोगों के जेहन में मोबाइल ऐप्स आते हैं। घर बैठे कुछ भी मिनटों में मंगाया जा सकता है। पिछले कुछ सालों में इस चलन में तेजी आई। ऐसे में कुछ मुश्किलें भी खड़ी हुई हैं, जिन्हें थोड़ा सा भी नजरअंदाज करने पर वह परेशानी का सबब बनती हैं। ई-कॉमर्स, कैब सर्विस और तमाम ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो यूजर्स की छोटी-छोटी लापरवाही का फायदा उठाते हैं।
इन दिनों एक टर्म खूब चर्चा में है, जिसे कंपनियां अपना मुनाफा कमाने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं, और उनका यह काम धड़ल्ले से चल भी रहा है। हम डार्क पैटर्न (Dark Pattern) के बारे में बात कर रहे हैं जो कंपनियां ग्राहकों को भ्रमित करने के लिए यूज करती हैं। डार्क पैटर्न क्या है? इससे क्या नुकसान हैं और इससे खुद को सेफ रखने के लिए क्या सावधानी बरतना जरूरी है। यहां बताने वाले हैं।
डार्क पैटर्न में फंस रहे लोग
आपमें से ज्यादातर लोग डार्क पैटर्न के बारे में नहीं जानते होंगे। लेकिन इसकी वजह से आपको रोजाना नुकसान हो रहा है। सवाल है कैसे? दरअसल हमें जो चीज खरीदनी होती है उसे मंगा लेते हैं और कुछ चीजों को कार्ड में एड कर लेते हैं, जिसका इस्तेमाल ये कंपनियां करती हैं। ग्राहकों को प्रोडक्ट खरीदने के लिए भ्रामक विज्ञापन दिखाकर खरीदारी के लिए मजबूर किया जाता है जो चीज हमारे कार्ड में एड होती है, उससे रिलेटेड नोटिफिकेशन बार-बार हमारे पास भेजे जाते हैं।
लिमिटेड डील, ये भी आपने खूब सुना होगा। ग्राहकों को दिखाया जाता है कि जिस चीज को उन्होंने कार्ड में एड कर रखा है, उस पर डील कभी भी खत्म हो सकती है। बस इसी में ज्यादातर लोग फंस जाते हैं और खरीद लेते हैं। लेकिन असल में इसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं। बल्कि इसका इस्तेमाल कंपनियां अपना सामान ज्यादा से ज्यादा बेचने के लिए करती हैं। इसे सामान्य भाषा में डार्क पैटर्न कहा जाता है।
क्यों गलत है डार्क पैटर्न यूज करना
डार्क पैटर्न का इस्तेमाल करके ई-कॉमर्स या दूसरी तरह की कंपनियां ग्राहकों को गुमराह करती है, उन्हें सामान खरीदने के लिए मैन्युपलेट किया जाता है, जो सही नहीं है। कंपनियों के इस पैटर्न को देखते हुए पिछले दिनों ऐसे भ्रामक विज्ञापनों पर रोक भी लगा दी गई। हालांकि इसके बावजूद भी कई ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जो डार्क पैटर्न का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं।कैसे पहचाने डार्क पैटर्न
ऐप या वेबसाइट आपको डार्क पैटर्न में फंसा रहा है या नहीं। इसे परखने के लिए कुछ बुनियादी चीजों पर ध्यान देना जरूरी है।- किसी ऐप या वेबसाइट पर विज्ञापन पॉप-अप होने पर उसे रिमूव करने का ऑप्शन नहीं मिल रहा तो समझ लीजिये ऐप या साइट डार्क पैटर्न का इस्तेमाल कर रही है। अक्सर विज्ञापन रिमूव करने का ऑप्शन बहुत छोटे में होता है। जो दिखता भी नहीं है।
- कई ऐसे प्रोडक्ट होते हैं जिन पर लिखा होता है लिमिटेड डील। यानी अगर प्रोडक्ट को समय रहते नहीं खरीदा गया तो डील मिस हो जाएगी। इसमें बहुत लोग फंस जाते हैं और झट से खरीदारी कर लेते हैं। जबकि लोगों को मूर्ख बनाने का कंपनियों के लिए सिर्फ ये एक जरिया भर है।
- साइनअप प्रोसेस आसान लेकिन साइन आउट प्रोसेस जटिल। जी हां, कुछ ऐसे ऐप और वेबसाइट हैं, जिन पर लॉग इन करना आसान होता है, लेकिन जब बात साइनआउट करने की आती है तो दू-दूर तक ऑप्शन नहीं दिखता।