क्यों कहा जाता है Alan Turing को फादर ऑफ कंप्यूटर साइंस, ट्युरिंग मशीन की ऐसे की थी खोज
Father of Computer Alan Turing एक ऐसा वैज्ञानिक जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पर्सनल कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नींव रखी। आइए डिटेल से जानते हैं उस वैज्ञानिक के जीवनी के बारे में जिन्होंने समलैंगिक होने की वजह से सायनाइड की गोली खाकर जान दे दी। आइए जानते हैं इनके जीवनी के बारे में डिटेल से बताते हैं। (फाइल फोटो-जागरण)
By Anand PandeyEdited By: Anand PandeyUpdated: Sat, 24 Jun 2023 04:51 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से दुनिया पर हावी हो रहा है, चैटबॉट से लेकर ऐसी प्रौद्योगिकियों तक जो रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डाल रही हैं। 2023 में एआई या मशीन लर्निंग के बारे में कोई भी चर्चा इस उल्लेख के बिना अधूरी है कि यह सब कहां से शुरू हुआ। और, एआई की उत्पत्ति के बारे में बात करें तो एलन ट्यूरिंग (Alan Turing) को व्यापक रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है। आइए डिटेल से जानते हैं उस वैज्ञानिक के जीवनी के बारे में जिन्होंने समलैंगिक होने की वजह से सायनाइड की गोली खाकर जान दे दी।
कौन थे कंप्यूटर विज्ञान के दिग्गज एलन ट्यूरिंग?
ट्यूरिंग का जन्म 23 जून, 1912 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था, उसी वर्ष ब्रिटिश यात्री जहाज टाइटैनिक उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया था, जिसमें 1600 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। एलन ट्यूरिंग एक युद्ध नायक, कंप्यूटर विज्ञान के दिग्गज और एक समलैंगिक व्यक्ति थे जो केवल स्वतंत्र रूप से जीने में सक्षम होना चाहते थे। इतिहास को ट्यूरिंग को याद रखना चाहिए जिन्होंने 69 साल पहले 7 जून, 1954 को अपनी जान ले ली थी।
एक ऐसा वैज्ञानिक जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पर्सनल कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नींव रखी। ट्यूरिंग जूलियस मैथिसन ट्यूरिंग के बेटे थे, जिन्होंने छत्रपुर में ब्रिटिश सरकार की भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) में एक प्रतिष्ठित पद संभाला था, जो पहले मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। वह व्यापारियों के एक स्कॉटिश परिवार से थे। ट्यूरिंग की मां, एथेल सारा ट्यूरिंग एडवर्ड वालर स्टोनी की बेटी थीं जो मद्रास रेलवे के मुख्य अभियंता थे।
कोड-ब्रेकिंग में ट्यूरिंग का था बड़ा योगदान
छोटी उम्र से ही ट्यूरिंग ने असाधारण गणितीय कौशल का प्रदर्शन किया। उन्होंने किंग्स कॉलेज, कैम्ब्रिज में गणित का अध्ययन किया, और बाद में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश कोडब्रेकिंग कंपनी - गवर्नमेंट कोड एंड साइफर स्कूल में शामिल हो गए। यहां उनके काम में जर्मन कोड को डिक्रिप्ट करना शामिल था, जिसमें एनिग्मा मशीन द्वारा बनाए गए कोड भी शामिल थे। उस समय कोड-ब्रेकिंग में ट्यूरिंग का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कि रखी थी नींव
युद्ध समाप्त होने के बाद, ट्यूरिंग ने अपना ध्यान कंप्यूटर विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर केंद्रित किया। उन्होंने सार्वभौमिक मशीन की अवधारणा (Concept of Universal Machine) विकसित की जिसे अब ट्यूरिंग मशीन (Turing Machine) के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि यूनिवर्सल मशीन ने आधुनिक कंप्यूटिंग की नींव रखी है। माना जाता है कि 'कम्प्यूटेबल नंबर्स' पर ट्यूरिंग की थीसिस ने एल्गोरिदम और कम्प्यूटेबिलिटी की अवधारणाओं को पेश किया है।