जानिए- इसरो का रोबोट 'व्योममित्र’ गगनयान मिशन में किस तरह देगा योगदान...
मिशन में अपनी भूमिका के बारे में व्योममित्र उस समय खुद बताएगी कि मैं सभी मापदंडों के आधार पर इस यान की निगरानी रखूंगी आपको सचेत करूंगी और जीवनरक्षक प्रणाली का काम देखूंगी। मैं स्विच पैनल के संचालन सहित विभिन्न काम कर सकती हूं।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 13 Jul 2022 05:53 PM (IST)
संतोष। भारत अगले साल गगनयान से साथ इतिहास रचने की तैयारी कर रहा है। इस मिशन की खास बात यह है कि पहले मानवरहित गगनयान की टेस्टिंग होगी। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो ने एक रोबोट बनाया है, जिसे 'व्योममित्र’ नाम दिया गया है। यह हाफ ह्यूमनाइड रोबोट है, जो गगनयान की टेस्टिंग में अंतरिक्ष से तस्वीरें भेजेगा। यह भारतीय विज्ञान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अगस्त 2019 में रूस ने भी मानवरहित राकेट के माध्यम से फेडोर रोबोट को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा था।
इसरो ने मानवयुक्त गगनयान मिशन के लिए ह्यूमनाइड रोबोट 'व्योममित्र’ को तैयार किया है। खास बात यह है कि 22 जनवरी, 2020 को पहली बार बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इंटरनेशनल एकेडमी आफ एस्ट्रोनाटिक्स और एस्ट्रोनाटिकल सोसाइटी आफ इंडिया के सम्मलेन में खुद इस ह्यूमनाइड महिला रोबोट ने अपना परिचय दिया था। आपको बता दें कि इसरो प्रायोगिक रूप से भेजे जाने वाले मानव रहित गगनयान में महिला रोबोट 'व्योममित्र’ को भेजेगा। इस रोबोट का नाम संस्कृत के दो शब्दों व्योम (अंतरिक्ष) और मित्र (दोस्त) को मिलाकर 'व्योममित्र’ रखा गया है। व्योममित्र रोबोट गगनयान मिशन को सफल बनाने में बड़ा योगदान देगा।
केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह के मुताबिक, गगनयान के पहले ट्रायल में मानव रहित विमान को भेजा जाएगा। इसके बाद दूसरे ट्रायल में महिला रोबोट यानी व्योममित्र को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इन दोनों मिशन के आधार पर तीसरा मिशन होगा। तीसरे चरण में दो लोगों को स्पेस फ्लाइट में भेजा जाएगा। गगनयान स्पेस फ्लाइट मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा। इसमें पहला टेस्ट इस साल यानी 2022 के मध्य में होगा।
पहले चरण में गगनयान का मानव रहित मिशन जी1 होगा। इसके बाद 2022 के अंत में व्योममित्र नाम का रोबोट भेजा जाएगा। आपको बता दें कि इसरों द्वारा 2023 में गगनयान भेजने की तैयारी चल रही है। इस मानव मिशन के जरिए भारत अंतरिक्ष आधारित सेवाओं के क्षेत्र में वर्ल्ड लीडर बनने में कामयाब होगा। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग में भारत दुनिया का एक अग्रणी देश बन चुका है।