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सरकार का Google, Meta, X के नाम फरमान; प्लेटफॉर्म पर बच्चों की उम्र वेरिफाई करने का तगड़ा हो इंतजाम

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने गूगल मेटा एक्स और टेक कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर बच्चों की उम्र वेरिफाई करने के तरीके को खोजने का फरमान जारी किया है। मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट की मानें तो मंत्रालय ने साफ कहा है कि सरकार इन टेक कंपनियों को प्लेटफॉर्म पर बच्चों की उम्र वेरिफाई करने का कोई तरीका नहीं बताएगी।

By Shivani Kotnala Edited By: Shivani Kotnala Updated: Sun, 21 Jul 2024 02:00 PM (IST)
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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने टेक कंपनियों को जारी किया फरमान
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने गूगल, मेटा, एक्स और टेक कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर बच्चों की उम्र वेरिफाई करने के तरीके को खोजने का फरमान जारी किया है। मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट की मानें तो मंत्रालय ने साफ कहा है कि सरकार की ओर से इन टेक कंपनियों को प्लेटफॉर्म पर बच्चों की उम्र वेरिफाई करने का कोई तरीका नहीं बताया जाएगा। इसके बजाय इन कंपनियों को सरकार की ओर से सलाह दी गई है कि वे खुद अपने टेक-इनेबल्ड तरीकों को खोजें, जो कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Digital Personal Data Protection Act) को ध्यान में रखकर तैयार किए जाएं।

18 जुलाई को आयोजित हुई थी एक बैठक

रिपोर्ट की मानें तो इस विषय पर चर्चा के लिए 18 जुलाई की सुबह आईटी मंत्रालय में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय सचिव एस कृष्णन (MeitY secretary S Krishnan) ने की। सूत्रों की ओर से सामने आई जानकारी के मुताबिक, उद्योग की ओर से बैठक में मेटा, गूगल, शेयरचैट और स्नैप के प्रतिनिधि शामिल हुए।

रिपोर्ट के अनुसार, यह बैठक इस संदर्भ में हुई कि मंत्रालय बच्चों की उम्र वेरिफाई करने के लिए किसी एक सिंगल फुल-प्रूफ मेथड को ला नहीं पा रहा। 

इससे पहले, मंत्रालय ने इसके लिए आधार या डिजिलॉकर का उपयोग करने पर विचार किया था। हालांकि, यह तरीका प्रैक्टिकली अप्लाई न हो सका।

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डीपीडीपी अधिनियम (DPDP Act) क्या है?

डीपीडीपी अधिनियम, 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को बच्चों की कैटेगरी में परिभाषित करता है। इस अधिनियम में सभी व्यक्तियों को उनके पर्सनल डेटा को सुरक्षित रखने के साथ डेटा का इस्तेमाल वैध उद्देश्यों के लिए करने का प्रावधान है।

अधिनियम की धारा 9 में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बच्चे के किसी भी पर्सनल डेटा का इस्तेमाल करने से पहले बच्चे के माता-पिता की सहमति प्राप्त करने का आदेश दिया गया है। कानून बच्चों के व्यवहार की निगरानी और बच्चों पर विज्ञापन को ट्रैक करने पर भी रोक लगाता है।