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आपके फोन में नहीं आएगे अनचाहे कॉल्स और मैसेज, माइक्रोसॉफ्ट विकसित कर रहा है नई तकनीक

अनचाहे कॉल्स और मैसेज से छुटकारा दिलाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट और टेक महिंद्रा ने ट्राई के सिफारिशों के मुताबिक ब्लॉकचेन तकनीक विकसित करने का फैसला किया है

By Harshit HarshEdited By: Updated: Tue, 28 Aug 2018 06:40 PM (IST)
आपके फोन में नहीं आएगे अनचाहे कॉल्स और मैसेज, माइक्रोसॉफ्ट विकसित कर रहा है नई तकनीक
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। आजकल के व्यस्त दिनचर्या में हम अक्सर अनचाहे कॉल्स और मैसेज से परेशान होते हैं। इन अनचाहे कॉल्स और मैसेज पर लगाम लगाने के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने पहले ही टेलिकॉम कंपनियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। अब दुनिया की प्रमुख टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट और भारत की तकनीकी कंपनी टेक महिंद्रा एक नया ब्लॉकचेन पर आधारित तकनीक विकसित करेंगे, जो इन अनचाहे कॉल्स और मैसेज पर लगाम लगाएगा। ये दोनों तकनीकी कंपनियां इस ब्लॉकचेन बेस्ड तकनीक को ट्राई के सुझाए निर्देशों के अनुरूप विकसित करेंगे।

ट्राई के सिफारिशों के अनुरूप विकसित होगी तकनीक

इन दोनों कंपनियों के एक संयुक्त बयान के मुताबिक टेक महिंद्रा और माइक्रोसॉफ्ट की साझेदारी से ट्राई की सिफारिशों पर आधारित एक मजबूत प्रणाली को विकसित की जाएगी, जो परेशान करने वाली कॉल्स और एसएमएस से निपटने में मदद करेगी। ब्लॉकचेन बेस्ड इस तकनीक को माइक्रोसॉफ्ट एज्युर के तहत विकसित किया जाएगा। आपको बता दें कि ट्राई के नए नियमों के मुताबिक इस तरह की अनचाही कॉल्स और एसएमएस से निपटने के लिए दूरसंचार कंपनियों को ब्लॉकचेन तकनीक को लागू करना होगा।

क्या है ब्लॉकचेन तकनीक?

इस समय ब्लॉकचेन तकनीक धीरे-धीरे दुनिया में जोर पकड़ रही है। इस तकनीक का इस्तेमाल हीरा व्यापारी कारोबार करने के लिए करते हैं। माना जा रहा है कि यह तकनीक लेन-देन के लिए काफी सुरक्षित होती है। इस तकनीक का इस्तेमाल बिटक्वॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी या आभासी मुद्रा के लेन-देन में भी किया जाता है। मोबाइल तकनीकी को और सुरक्षित बनाने के लिए स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां भी ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करने की तैयारी में हैं। अब इस तकनीक को संचार के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

इस तरह काम करेगा ब्लॉकचेन तकनीक

इस ब्लॉकचेन तकनीक में जानकारी ब्लॉक यानी खांचो (बॉक्स) में दर्ज होती है। हर खांचे का अपना एक विशिष्ट गुप्त कोड होता है जिसे हैश कहते हैं। ये खांचे आपस में जुड़कर एक श्रृंखला बनाते हैं, हर खांचे में उससे पिछले वाले खांचे का हैश भी होता है। इसके बाद किसी नए ब्लॉक को जोड़ने के लिए प्रणाली से जुडे लगभग 50 फीसद कम्प्यूटर्स से वेरिफिकेशन कराना होता है और एक बार दर्ज किया गया डाटा हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाता है। क्योंकि डाटा को बदलते ही खांचे का हैश बदल जाता है और आगे जुडे सारे खांचे खराब हो जाते हैं। इसलिए यह तकनीक किसी हैकर के लिए अभेद किला की तरह बन जाती है।

ब्लॉकचेन तकनीक और नए नियमों से जुड़ी जरूरी बातें

  • ब्लॉकचेन को डिजिटल लीडर भी कहा जाता है, जो अनचाहे फर्जी कॉल्स को फिल्टर करता है।
  • भारत दुनिया का पहला देश है जो संचार के लिए इस आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करता है।
  • इस तकनीक से स्पैमर अगर 10 डिजीट का फोन नंबर इस्तेमाल करता है तो उसे डाटा मैचिंग का इस्तेमाल करके आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।
  • नए नियमों के मुताबिक इंफ्रास्ट्रकर को शेयर और आउटसोर्स करने की आजादी है।
  • इसकी वजह से दूरसंचार कंपनियों को इसपर लगने वाला अतिरिक्त खर्च काफी कम हो जाता है।
  • ब्लॉकचेन तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह कॉल्स को ऑटोमैटिकली फिल्टर कर लेता है।
  • फाइनेंसियल सेक्टर में भी इस तकनीक का लाभ मिलेगा। इन नए नियमों से सभी स्टेकहोल्डर्स को फायदा मिलेगा। 
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