Chat GPT को टक्कर देगा भारत का Jugalbandi AI चैटबॉट, लोकल भाषा में सरकारी योजनाओं की देगा जानकारी
Chat GPT को टक्कर देने के लिए भारत में Jugalbandi बॉट को AI4Bharat और माइक्रोसॉफ्ट Azure की मदद से तैयार किया जा रहा है। जुगलबंदी बॉट 10 भारतीय भाषाओं में प्रश्नों को समझने में सफल रहा है। इस एआई असिस्टेंट को वॉट्सऐप के जरिए एक्सेस किया जा सकता है। (फोटो-जागरण)
By Anand PandeyEdited By: Anand PandeyUpdated: Sat, 27 May 2023 11:37 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। Microsoft ने ग्रामीण भारत में रहने वाले किसानों और अन्य यूजर्स के लिए डिज़ाइन की गई 'Jugalbandi AI' नामक एक नई पीढ़ी के AI-संचालित चैटबॉट को पेश किया है।
चैटबॉट को माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च और सरकार समर्थित AI4Bharat भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास पर आधारित एक ओपन-सोर्स लैंग्वेज AI सेंटर और OpenNyAI के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। बता दें, जुगलबंदी एआई चैटबॉट को पहली बार अप्रैल में भिवानी में ग्रामीणों से मिलवाया गया था। आइए इसके बारे में और डिटेल से जानते हैं।
क्या है Microsoft का नया Jugalbandi AI?
Jugalbandi AI चैटबॉट को अप्रैल में लॉन्च किया गया था और भारत की राजधानी नई दिल्ली के पास एक गांव बीवान में इसका परीक्षण किया गया है। जुगलबंदी सरकारी कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है और यूजर्स को उनकी स्थानीय भाषा में जानकारी प्रदान कर सकता है।
चैटबॉट एक व्यक्तिगत एजेंट की तरह है जो यूजर्स की समस्या को समझता है और सही जानकारी उनके भाषा में प्रदान करता है। इस एआई असिस्टेंट को वॉट्सऐप के जरिए एक्सेस किया जा सकता है।
कैसे काम करेगा Jugalbandi AI चैटबॉट?
चैटबॉट AI4Bharat के AI मॉडल द्वारा संचालित है, जो भारत सरकार के डेटाबेस से डेटा का उपयोग करता है, जिसे समय के साथ लगातार जोड़ा जा रहा है। जुगलबंदी को पहली बार अप्रैल में भिवानी में ग्रामीणों से मिलवाया गया था। तब से, यह भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से 10 और लगभग 20,000 सरकारी कार्यक्रमों में से 171 को कवर करने के लिए विकसित हुआ है।
जुगलबंदी Azure OpenAI सेवा के माध्यम से GPT मॉडल का इस्तेमाल करती है। Azure OpenAI सेवा का मॉडल प्रांप्ट के आधार पर संबंधित सरकारी योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करेगा, और उसका उत्तर का हिंदी में अनुवाद किया जाएगा। उत्तर को टेक्स्ट-टू-स्पीच मॉडल के साथ संशोधित किया जाएगा और ग्रामीणों को सुनने के लिए वॉट्सऐप पर वापस भेजा जाएगा।