मोदी 3.0 से टेलीकॉम इंडस्ट्री को क्या उम्मीदें, दूरसंचार कंपनियों का कैसा रहेगा रुख
वाई-फाई के समर्थक या गूगल माइक्रोसॉफ्ट और अन्य टेक्नोलॉजी कंपनियों का एक वर्ग चाहता है कि बैंड को सार्वजनिक वाई-फाई सेवाओं के लिए लाइसेंस मुक्त किया जाना चाहिए। इस मांग का दूरसंचार कंपनियों द्वारा कड़ा विरोध किया जाता है उनका कहना है कि सार्वजनिक उपयोगिता के लिए स्पेक्ट्रम का पूरा उपयोग नहीं किया जाएगा। मोदी 3.0 से टेलीकॉम सेक्टर को कई उम्मीदें हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद आज भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों के लिए अहम दिन है। क्योंकि आज शाम 7 बजकर 15 मिनट पर नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक तीसरी बार लगातार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। इस चुनाव में एनडीए को 293 सीटें मिली है।
ऐसे में नई सरकार के गठन के बाद टेलीकॉम इंडस्ट्री की भी कुछ मांगे हैं, जिनको इस दौरान उठाया जा सकता है। इनमें प्रमुख तौर पर 6 गीगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड की पहचान, नो कॉमर्शियल पावर ट्रांसमिशन और राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) ढांचे को जमीनी स्तर पर ले जाने को लेकर मांग शामिल है।
टेलीकॉम को Modi 3.0 से उम्मीदें
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के महानिदेशक एसपी कोचर ने ईटी टेलीकॉम को बताया कि नई सरकार से कुछ मांगों में 5G/IMT सर्विस के लिए 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड का आवंटन मुख्य तौर पर शामिल है। टेलीकॉम के बुनियादी ढांचे के लिए इंडस्ट्रीयल/ यूटीलिटी बिजली शुल्क दरों की आवश्यकता है।बता दें COAI भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री का शीर्ष व्यापार निकाय है, इसके सदस्यों में भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया शामिल हैं।
इन्होंने कहा कि दूरसंचार विभाग (DoT) को IMT सेवाओं के लिए इस बैंड को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय आवृत्ति आवंटन योजना (NFAP) तैयार करने के लिए ITU रेडियो विनियम (RR) पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए।
दूरसंचार ऑपरेटर देश में अगली पीढ़ी (5G) सेवाओं के विस्तार के लिए 6 GHz रेडियो तरंगों की मांग कर रहे हैं। COAI ने दूरसंचार विभाग (DoT) को लिखे पत्र में आगाह किया था कि अन्यथा कोई भी कदम उद्योग के निरंतर 5G नेटवर्क निवेश को कमजोर कर सकता है।