भारत के इन वैज्ञानिकों का लोहा मानती है पूरी दुनिया, खास कामों के लिए आज भी होता है गुणगान
2023 National Technology Day 5 Great Achievements by Indians भारतीयों ने साइंस और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। कई वैज्ञानिकों का लोहा आज भी दुनिया भर में माना जाता है। इनके काम को आज भी दुनिया सराहती है। (फोटो- जागरण)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। भारत ने साइंस और टेक्नोलॉजी में बहुत सी उपलब्धियां पाई हैं। इन उपलब्धियों को पाने में बहुत से वैज्ञानिकों का योगदान रहा था। भारत में जन्मे वैज्ञानिकों ने भारत ही नहीं, दुनिया के लिए ऐसे काम किए, जिनकी छाप अमिट है।
लाइट बल्ब के इनोवेशन से लेकर स्पेस तक पहुंचने में साइंस और टेक्नोलॉजी का क्षेत्र मायने रखता है। भारत के कुछ वैज्ञानिकों के बड़ी खोजों का ही परिणाम है कि हम डिजिटल लाइफ तक का सफर कर पाए हैं। इस आर्टिकल में ऐसे ही कुछ भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में बता रहे हैं, जिनके काम को देश के बाहर आज भी सराहा जाता है।
एपीजे अब्दुल कलाम
15 अक्टूबर, 1931 को जन्मे अब्दुल कलाम एक भारतीय वैज्ञानिक थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति और एयरोस्पेस इंजीनियर थे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ काम किया था।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने एक छोटा हेलीकॉप्टर का डिजाइन तैयार किया था। इसरो में काम करते हुए कलाम ने भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) प्रोजेक्ट को भी लीड किया था। SLV-III ने जुलाई 1980 में रोहिणी सेटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा के पास सफलतापूर्वक तैनात किया था। वे अंतिम समय तक दुनिया भर के लिए एक प्रेरक की भूमिका निभा रहे थे।
चन्द्रशेखर वेंकटरमन
चंद्रशेखर वेंकट रमन ने लाइट पर अपने काम को लेकर 1930 में फिजिक्स के लिए नोबेल पुरस्कार जीता था ।
7 नवंबर, 1888 को तिरुचिरापल्ली में जन्मे चंद्रशेखर वेंकट रमन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई और पहले गैर-श्वेत थे। रमन ने म्यूजिकल इन्सट्रमेन्टस में भी काम किया था।
विक्रम साराभाई
विक्रम साराभाई को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
विक्रम साराभाई 1966 में पद्म भूषण और 1972 में उनकी मृत्यु के बाद पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
श्रीनिवास रामानुजन
22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु में जन्मे, रामानुजन एक भारतीय गणितज्ञ और ऑटोडिडैक्ट थे। जिन्होंने गणित में किसी तरह की कोई ट्रेनिंग न होने के बावजूद गणितीय विश्लेषण, संख्या सिद्धांत में अपना योगदान दिया था।
सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली
सलीम मोइज़ुद्दीन अब्दुल अली एक पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी थे। इनका जन्म 12 नवंबर, 1896 को मुंबई में हुआ था।
सलीम अली भारत भर में पक्षी सर्वेक्षण करने वाले पहले भारतीयों में से थे और उनकी पक्षी पुस्तकों पक्षीविज्ञान विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सत्येन्द्र नाथ बोस
1 जनवरी, 1894 को कलकत्ता में जन्मे, एसएन बोस क्वांटम यांत्रिकी में विशेषज्ञता वाले एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे। उन्हें कणों के वर्ग 'बोसॉन' में निभाई गई उनकी काम को आज भी सराहा जाता है।
बीरबल साहनी
नवंबर, 1891 को पश्चिम पंजाब में जन्मे साहनी एक भारतीय पुरावनस्पतिशास्त्री थे, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के जीवाश्मों का अध्ययन किया था। वह एक भूविज्ञानी भी थे जिन्होंने पुरातत्व में रुचि ली। उनका सबसे बड़ा योगदान वर्तमान के साथ-साथ ऐतिहासिक संदर्भ में भारत के पौधों के अध्ययन में था।
हरगोविन्द खुराना
9 जनवरी, 1922 को पश्चिम पंजाब के रायपुर गाँव में जन्मे, खुराना एक भारतीय-अमेरिकी जैव रसायनज्ञ थे, जिन्होंने 1968 में मार्शल डब्ल्यू निरेनबर्ग और रॉबर्ट डब्ल्यू हॉली के साथ फिजियोलॉजी, मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार लिया था।