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National Technology Day 2023: 11 मई को क्यों मनाया जाता है टेक्नोलॉजी डे, दुनिया ने माना था भारत का लोहा

National Technology Day 2023 हर साल 11 मई टेक्नोलॉजी डे के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत की एक बड़ी उपलब्धि को याद दिलाता है। इस उपलब्धि का जश्न ही हर साल मनाया जाता है। (फोटो- जागरण)

By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Wed, 10 May 2023 08:26 AM (IST)
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2023 National Technology Day 11th May, Pic Courtesy- jagran graphics
नई दिल्ली, टेक डेस्क। 11 मई, 1998 का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक माना जाता है। देश के हाथ एक बड़ी सफलता लगी थी। यह सफलता इंडियन आर्मी से जुड़ी थी। दरअसल हम यहां पोखरण-II टेस्ट की बात कर रहे हैं।

25 साल पहले क्या हुआ था खास

इस न्यूक्लियर टेस्ट को राजस्थान के पोखरण टेस्ट रेंज से किया जा रहा था। भारत का पहला नहीं, बल्कि दूसरा न्यूक्लियर टेस्ट था। बावजूदइसके भारत के लिए यह न्यूक्लियर टेस्ट कई मायनों में खास था।

भारत ने 25 साल पहले पोखरण-II टेस्ट के लिए पांच न्यूक्लियर धमाके किए थे। इस न्यूक्लियर टेस्ट का कोड नेम शक्ति-I न्यूक्लियर मिसाइल था। देश की इस सफलता के जश्न के रूप में ही हर साल टेक्नोलॉजी डे मनाया जाता है।

इस न्यूक्लियर टेस्ट को खुद देश तत्कालिन राषट्रपति और एरोस्पेस इंजीनियर डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम लीड कर रहे थे। इस सफलता के ठीक दो दिन बाद भारत ने दो नए न्यूक्लियर हथियारों का टेस्ट किया था। यह भी पोखरण-II का हिस्सा था।

न्यूक्लियर क्लब में भारत की हुई थी एंट्री

दरअसल पोखरण-I भारत की पहला न्यूक्लियर टेस्ट था। पहला न्यूक्लियर टेस्ट साल 1974 में किया गया था। इसे स्माइलिंग बुद्धा के नाम से जाना जाता है। पोखरण-II की बड़ी सफलता के बाद ही तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक न्यूक्लियर स्टेट घोषित किया था।

भारत न्यूक्लियर क्लब को जॉइन करने वाला 6वां देश बन रहा था। इसके साथ ही भारत ऐसा पहला देश बन रहा था जो एनपीटी (Non-Proliferation of Nuclear Weapons) का हिस्सा नहीं था। यह एक अंतरराष्ट्रीय ट्रीटी थी, जिसे अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस और चीन ने साइन किया था। इसका उद्देश्य न्यूक्लियर हथियारों के प्रसार को रोकना था.

देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट भी उड़ा

यह दिन न्यूक्लियर टेस्ट की सफलता के साथ ही देश के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट के उड़ान भरने से भी जुड़ा है। देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट हंसा-3 बेंगलुरु में उड़ाया गया था। यह एयरक्राफ्ट दो सीटों वाला एक सामान्य एयरक्राफ्ट था। इस एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल पायलट ट्रेनिंग, निगरानी, हवाई फोटोग्राफी के लिए किया जाता था।