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आपके दिल का हाल बताएगा AI मॉडल: बचेंगी लाखों जानें, हार्ट अटैक से पहले इस तरह मिलेगा अलर्ट

Luxembourg यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कहा कि यह एआई मॉडल ऐसी स्थिति होने से पहले ही वॉर्निंग दे देता है। जिससे मरीजों को हृदय गति को स्थिर रखने के लिए इलाज करने का मौका मिल जाता है। यह रिसर्च जर्नल पैटर्न्स में प्रकाशित हुई है। एआई मॉडल को विकसित करने के लिए रिसर्च टीम ने 350 रोगियों से इकट्ठा की गई 24 घंटे की रिकॉर्डिंग से ट्रेन किया है।

By Agency Edited By: Yogesh Singh Updated: Tue, 23 Apr 2024 04:30 PM (IST)
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हार्ट अटैक से पहले इस तरह मिलेगा अलर्ट

पीटीआई, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हर क्षेत्र में दखल दे रहा है। कई जगह इसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं तो कई बार इसका दुरुपयोग भी कर लिया जाता है। अब रिसर्चर्स ने एक ऐसा एआई मॉडल विकसित किया है जो अचानक हार्ट बीट और कार्डियक एरिथमिया के आने से 30 मिनट पहले ही उसके बारे में जानकारी दे देगा। रिसर्चर्स के मुताबिक, यह एआई मॉडल 80 प्रतिशत तक सही प्रडिक्शन कर सकता है। 

दिल का हाल बताएगा AI

Luxembourg यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह एआई मॉडल ऐसी स्थिति होने से पहले ही वॉर्निंग दे देता है। जिससे मरीजों को उनकी हृदय गति को स्थिर रखने के लिए इलाज करने का मौका मिल जाता है। बता दें यह रिसर्च जर्नल पैटर्न्स में प्रकाशित हुई है।

इस खास तरह के एआई मॉडल को विकसित करने के लिए रिसर्च टीम ने इसे चीन के वुहान शहर के टोंगजी अस्पताल में 350 रोगियों से इकट्ठा की गई 24 घंटे की रिकॉर्डिंग पर ट्रेन किया है, जिसे शोधकर्ताओं ने WARN (वार्निंग ऑफ एट्रियल फाइब्रिलेशनएन) नाम दिया है।

30 मिनट पहले मिलेगी वॉर्निंग

बताया गया है कि यह डीप-लर्निंग पर आधारित एक तरह का मशीन-लर्निंग एआई एल्गोरिदम है जो भविष्य के बारे में प्रडिक्शन देने के लिए पिछले डेटा से पैटर्न सीखता है। उन्होंने कहा कि WARN एट्रियल फिब्रिलेशन (एक ऐसी बीमारी है जहां दिल की धड़कन अनियमित और अक्सर बहुत तेज होती है) की शुरुआत से औसतन 30 मिनट पहले ही ये वॉर्निंग दे देता है।

मॉडल विकसित करने वाले रिसर्चर्स ने बताया कि उन्होंने एआई मॉडल को ट्रेन करने के लिए हार्ट स्पीड डेटा का इस्तेमाल किया है जो कई चरणों में पहचान कर सकता है।

खतरे की संभावना बताता है मॉडल

अध्ययन में शामिल लक्जमबर्ग विश्वविद्यालय के जॉर्ज गोंकाल्वेस ने कहा यह मॉडल खतरे की संभावना की गणना करता है, जिससे रोगी को उपाय के लिए वक्त मिल जाता है। गोनक्लेव्स ने कहा जब एट्रियल फिब्रिलेशन के करीब पहुंचता है, तो ये चेतावनी देना शुरू कर देता है। शोधकर्ताओं ने आगे बताया कम कम्प्यूटेशनल लागत होने के कारण एआई-मॉडल पहनने के उपयोग में लाया जा सकता है। इसका उपयोग मरीज रोजाना भी कर सकते हैं।

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