क्या 45 दिनों में पूरा हो पाएगा Mars का सफर, NASA सहित कई स्पेस एजेंसियां कर रही तैयारी
समय के साथ-साथ स्पेस एजेंसियों ने काफी तरक्की कर ली है। अब स्पेस एजेंसियां एक ऐसी तकनीकी ला रही है जिससे 100 दिनों के बजाय 45 दिनों में आपको मार्स पर पहुंचा देगा। आइये इसके बारे में जानते हैं। (जागरण फाइल फोटो)
By Ankita PandeyEdited By: Ankita PandeyUpdated: Sat, 21 Jan 2023 07:06 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। दुनिया भर की स्पेस एजेसियां दिन पर दिन स्पेस में अपनी स्थिति को मजबूत करने में लगे रहते हैं। ये समय-समय पर नए मिशन को मार्स या चांद पर भेजते रहते हैं। आने वाले सालो में कई एजेंसियां अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की योजना बना रही हैं। नासा और चीन दोनों भी अगले दशक में मंगल ग्रह पर क्रू मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं। इसके साथ ही आने वाले सालों में अन्य देशों के भी सूट का पालन कर सकते हैं।
होगी नई तकनीकी की जरूरत
बता दें कि अंतरिक्ष यात्रियों को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) और अर्थ-मून सिस्टम से परे ले जाने वाले मिशनों को नई तकनीकों की जरूरत है। ये तकनीकी लाइफ सपोर्ट और रेडिएशन शिल्डिंग से लेकर पावर और प्रोपल्शन तक हैं। इसमें Nuclear Thermal और Nuclear Electric Propulsion (NTP/NEP) शामिल है।यह भी पढे़ें- iPhone यूजर्स के लिए खुशखबरी, आ गया WhatsApp का ये खास फीचर, आसानी से खोज सकेंगे पुराने चैट
क्या है Bimodal nuclear propulsion?
स्पेस एजेंसी नासा ने कुछ साल पहले Bimodal nuclear propulsion विकसित करने के लिए अपने प्रोग्राम को फिर से शुरू किया। यह एक दो-भाग प्रणाली है, जिसमें NTP और NEP एलीमेंट शामिल हैं। इस सिस्टम से 100 दिनों में मंगल ग्रह पर ट्रांसमिशन को सक्षम करने की क्षमता है। 2023 में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने नासा इनोवेटिव एडवांस्ड कॉन्सेप्ट्स (NIAC) नाम से एक नया कार्यक्रम शुरू किया और चरण I के विकास के लिए एक परमाणु अवधारणा का चयन किया।यह नया बाइमोडल न्यूक्लियर प्रोपल्शन सिस्टम एक "वेव रोटर टॉपिंग साइकिल का उपयोग करेगा जो मंगल ग्रह के ट्रांसमिशन समय को 45 दिनों तक कम कर सकता है। बता दें कि यह प्रस्ताव प्रो. रेयान गोसे ने रखा था। गोसे फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में हाइपरसोनिक्स प्रोग्राम एरिया का नेतृत्व करते हैं और फ्लोरिडा एप्लाइड रिसर्च इन इंजीनियरिंग (फ्लेयर) टीम के सदस्य भी हैं।