टेक्नोलॉजी की मदद से आंतकियों को मदद पहुंचा रहा पाक, PoK में लगा रहा खास टॉवर; जम्मू की जेल तक आ रहे सिग्नल
जम्मू क्षेत्र के पीर पंजाल के दक्षिण में घुसपैठ की कोशिशों और हाल के आतंकी हमलों के पैटर्न के अध्ययन के बाद अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादी समूह अत्यधिक एन्क्रिप्टेड YSMS सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि घुसपैठ की गतिविधियों में मदद करने के उद्देश्य से PoK में टेलीकॉम टॉवर को बढ़ाया जा रहा है। आइये पूरे मामले के बारे में जानते हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली।अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादियों और उनके सहयोगियों को घुसपैठ की गतिविधियों में मदद करने के उद्देश्य से हाल के दिनों में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में नियंत्रण रेखा के पास दूरसंचार टावरों की संख्या में वृद्धि की गई है।
अधिकारियों ने विशेष रूप से जम्मू के पीर पंजाल के दक्षिण में घुसपैठ की कोशिशों और हाल के आतंकी हमलों के पैटर्न के अध्ययन के बाद कहा कि आतंकवादी समूह अत्यधिक एन्क्रिप्टेड YSMS सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। यह एक ऐसी तकनीक जो गुप्त संचार उद्देश्यों के लिए स्मार्ट फोन और रेडियो सेट को मर्ज करती है।
कैसे काम करेगी तकनीक
इस तकनीक की मदद से पीओके में एक आतंकी संगठन का हैंडलर एलओसी के पार इस्तेमाल होने वाले टेलीकॉम नेटवर्क पर जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले समूह और उसकी रिसेप्शन पार्टी से जुड़ा होता है। ऐसा सेना या बीएसएफ से बचने के लिए किया जाता है, जो पाकिस्तान के साथ सीमाओं की रक्षा करते हैं।टेलीकॉम सिग्नल को बढ़ावा देने की परियोजना पूरी तरह से पाकिस्तानी सेना अधिकारी मेजर जनरल उमर अहमद शाह के नेतृत्व वाले विशेष संचार संगठन (एससीओ) को सौंप दी गई है। माना जाता है कि वह पहले पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई के साथ काम करता था।
एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास दूरसंचार टावरों का रणनीतिक प्लेसमेंट, जो आम तौर पर घुसपैठ गतिविधियों में आतंकवादियों और उनके सहयोगियों की सहायता के लिए उपयोग किया जाता है, संयुक्त राष्ट्र के तहत एक निकाय, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) के संविधान के अनुच्छेद 45 का उल्लंघन है।
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