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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से साइबर ठगी पर लगाम लगाने की तैयारी, डिजिटल फ्रॉड्स में आएगी कमी

एक फर्जी लोगो फर्जी यूआरएल हटाने के चंद मिनट के अंदर साइबर ठग उसी तरह से दूसरा लोगो और यूआरएल इंटरनेट पर डाल देते हैं। राजेश कुमार के अनुसार इससे निपटने का एक मात्र तरीका है कि जैसे ही फर्जी या फर्जी यूआरएल इंटरनेट प्लेटफार्म पर अपलोड किये जाएं। तत्काल उन्हें हटा दिया जाए और ऐसा सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ही हो सकता है।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Fri, 24 May 2024 07:59 PM (IST)
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डिजिटल फ्रॉड्स में आएगी कमी

नीलू रंजन, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) साइबर ठगी पर लगाम लगाने में एक कारगर टूल साबित हो सकता है। खासतौर पर सरकारी एजेंसियों के लोगों के साथ भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से लोगों की ठगी के मामले रोकने में इसके इस्तेमाल पर काम शुरू हो गया है।

इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) के सीईओ राजेश कुमार के अनुसार इसके लिए मेटा, वॉट्सऐप, गूगल से बातचीत चल रही है। राजेश कुमार के अनुसार साइबर ठगी में बड़े पैमाने पर राज्य पुलिस, सीबीआई, कस्टम विभाग, आयकर विभाग जैसी सरकारी एजेंसियों के लोगो का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।

साइबर ठगी पर लगेगी लगाम

इन लोगो को देखकर आम लोग झांसे में आ जाते हैं और ठगी के शिकार हो जाते हैं। यही नहीं, साइबर ठग इन सरकारी एजेंसियों के यूआरएल से मिलते-जुलते यूआरएल बना लेते हैं। आम लोगों के लिए इनमें अंतर पकड़ना मुश्किल हो जाता है। आइ4सी ऐसे फर्जी यूआरएल और फर्जी लोगो वाले आन लाइन विज्ञापनों पर नजर रखता है और पकड़ में आने के बाद तत्काल उन्हें हटाने के लिए संबंधित इंटरनेट प्लेटफार्म को सूचित भी करता है। लेकिन जबतक ये फर्जी लोगो वाले विज्ञापन और फर्जी यूआरएल हटाए जाते हैं, तबतक बहुत सारे लोग साइबर ठगी के शिकार हो जाते हैं।

AI की ली जाएगी मदद

यही नहीं, एक फर्जी लोगो फर्जी यूआरएल हटाने के चंद मिनट के अंदर साइबर ठग उसी तरह से दूसरा लोगो और यूआरएल इंटरनेट पर डाल देते हैं। राजेश कुमार के अनुसार इससे निपटने का एक मात्र तरीका है कि जैसे ही फर्जी या फर्जी यूआरएल इंटरनेट प्लेटफार्म पर अपलोड किये जाएं, तत्काल उन्हें हटा दिया जाए और ऐसा सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ही हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल तैयार करने पर काम चल रहा है, जो सरकारी एजेंसियों से मिलते जुलते फर्जी लोगो वाले विज्ञापन और फर्जी यूआरएल की तत्काल पहचान कर उन्हें ऑमैटिक तरीके से तत्काल इंटरनेट से हटा दें।

उन्होंने कहा कि इसके शुरूआती नतीजे काफी उत्साहवर्धक हैं और सभी इंटरनेटल प्लेटफार्म पर इनके इस्तेमाल की बातचीत चल रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे फर्जी लोगो और फर्जी यूआरएल का इस्तेमाल कर साइबर ठगी के मामलों को रोकने में काफी हद तक मिल सकती है।

ध्यान देने की बात है कि साइबर क्राइम पोर्टल पर हर दिन साइबर ठगी के 7000 से अधिक मामले दर्ज किये जा रहे हैं। इसके साथ दक्षिण प‌रू्व एशियाई देश कंबोडिया, लाओस और म्यांमार में संगठित गिरोहों की सक्रियता ने साइबर ठगी की समस्या को विकराल बना दिया है। इस समस्या से निपटने के लिए एक समेकित रणनीति बनने के लिए पिछले हफ्ते गृहमंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें कई विभागों के सचिव भी शामिल हैं।

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