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Dark Web: डार्क वेब में लीक तो नहीं हुई आपकी पर्सनल जानकारी, ऐसे करें फटाफट चेक

डार्क वेब को इंटरनेट की काली दुनिया कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यह इंटरनेट का ही एक हिस्सा है जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4% हिस्से का इस्तेमाल करते है जिसे सरफेस वेब कहा जाता है।

By Yogesh Singh Edited By: Yogesh Singh Updated: Sat, 04 May 2024 12:02 PM (IST)
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कहीं लीक तो नहीं हो गया आपका पर्सनल डेटा
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। अक्सर आप सुनते होंगे कि करोड़ों यूजर्स का डेटा डार्क वेब पर लीक हो गया है या फिर बेचा जा रहा है। इसमें यूजर्स की संवेदनशील जानकारी होती है। लेकिन, क्या अभी आपके दिमाग में ख्याल आया कि आखिर डार्क वेब पर डेटा कैसे लीक होता है और वह कौन सा तरीका है, जिससे हम पता कर पाएं कि कहीं हमारा डेटा डार्क वेब पर तो नहीं है।

क्या है डार्क वेब

डार्क वेब को इंटरनेट की काली दुनिया कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यह इंटरनेट का ही एक हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के कामों को अंजाम दिया जाता है। इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है। हम इंटरनेट कंटेंट के केवल 4% हिस्से का इस्तेमाल करते है, जिसे सरफेस वेब कहा जाता है।

डीप वेब को एक्सेस करने के लिए हमें बहुत सी जानकारी देनी होती है। जैसे ई-मेल, नेट बैंकिंग और भी बहुत कुछ। डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर (Tor Browser) का इस्तेमाल किया जाता है। डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें मिलती हैं।

डार्क वेब पर आपका डेटा है या नहीं?

  • डार्क वेब पर आपका डेटा है या नहीं, इसके बारे में पता करने के लिए आपको कुछ आसन से स्टेप फॉलो करने होंगे और आप इसके बारे में पता कर पाएंगे।
  • सबसे पहले आपको गूगल वन (Google One) ऐप को इंस्टॉल करना है। कुछ स्मार्टफोन्स में ये ऐप पहले से ही प्री-इंस्टॉल्ड भी होता है।
  • दूसरे स्टेप में ऐप को ओपन करें और होम पेज पर दिख रहे डार्क वेब रिपोर्ट पर क्लिक करें।
  • अब Run Scan करें, एक बार स्कैनिंग पूरी हो जाए तो व्यू ऑल रिजल्ट्स पर टैप करना है।
  • यहां आप पता कर पाएंगे कि इंटरनेट की काली दुनिया यानी डार्क वेब पर आपका डेटा लीक हुआ है या नहीं।

डार्क वेब पर डेटा लीक होने के संकेत

अब सवाल है कि वे क्या संकेत होते हैं जिनसे पता चलता है कि हमारा डेटा डार्क वेब पर आ गया है। होता क्या है कि हम इंटरनेट पर मौजूद अधिकतर चीजों के एक्सेस के लिए अपनी ईमेल और मोबाइल नंबर जैसी जानकारी साइट्स पर डालते हैं और कुछ ऐसी साइट्स होती हैं, जो डेटा को स्कैमर्स को बेच देती हैं, स्कैमर्स इसको डार्क वेब पर पेज देते हैं, जिसके बाद आपके फर्जी कॉल आना शुरू हो जाते हैं।

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