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Reliance Jio, Airtel और Vi ने सरकार को भेजा SOS, कहा- 6GHz स्पेक्ट्रम बैंड के लिए नए सिरे से करें शुरुआत

COAI यानी रिलायंस जियो एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक SOS भेजा है जिसमें उन्होंने 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम नामित करने में हो रही विफलता की ओर इशारा किया है। टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि वैश्विक स्पेक्ट्रम मीट में भारतीय प्रतिनिधिमंडल 6 गीगाहर्ट्ज बैंड स्पेक्ट्रम पर उद्योग के साथ किये गए वादों से भटक रहे हैं।

By Ankita PandeyEdited By: Ankita PandeyUpdated: Thu, 14 Dec 2023 12:00 PM (IST)
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Reliance Jio, Airtel और Vi ने सरकार को भेजा SOS, यहां जानें डिटेल
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली।  जैसा कि हम जानते हैं कि ग्लोबल स्पेक्ट्रम मीट जोर-शोर से चल रहा है। इस आईटीयू वर्ल्ड रेडियोकम्युनिकेशन कॉन्फ्रेंस 2023 में भारत ने भी हिस्सा लिया है। लेकिन अब COAI (भारतीय दूरसंचार उद्योग निकाय सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक SOS लेटर भेजा है। बता दें कि COAI में रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया शामिल है।

इस SOS की बात करें तो टेलीकॉम कंपनियों ने इस SOS में दावा किया गया है कि वैश्विक स्पेक्ट्रम मीट में भारतीय प्रतिनिधिमंडल 6 गीगाहर्ट्ज बैंड स्पेक्ट्रम पर उद्योग के साथ किये गए वादों से भटक रहे हैं। आइये इसके बारे में जानते हैं।

टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार को भेजा SOS

  • सरकार को भेजे पत्र में टेलीकॉम कंपनियों ने यह भी कहा कि 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम को नामित करने में हो रही विफलता भारत के 5G को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • साथ ही मोबाइल टेलीफोनी के ग्लोबल इकोसिस्टम के विकास पर भी असर पड़ सकता है। ंकपनियों का यह भी कहना है कि इसकी शुरुआत नए सिरे से की जानी चाहिए।
  • जानकारी के लिए बता दें कि आईटीयू वर्ल्ड रेडियोकम्युनिकेशन कॉन्फ्रेंस 2023 दुबई में हो रहा है। इस कॉन्फ्रेंस उस तकनीकी पर फैसला मिलेगा जिसके लिए 6 गीगाहर्ट्ज बैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल किया जाना है।

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COAI को क्यों जरूरी है 6Ghz

  • बता दें कि रिलायंस जियो, और वोडाफोन 5G सर्विस में 5G 6Ghz बैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करना चाहते हैं।
  • इसका सबसे बड़ा कारण ये हैं कि इस स्पैक्ट्रम में लागत हाई फ्रीक्वेंसी में मिलते वाली 5G सर्विस की तुलना में कम होती है।
  • इतना ये 6GHz बैंड मिड-बैंड स्पेक्ट्रम का एकमात्र बड़ा ऐसा ब्लॉक है जो सस्ती 5G सेवाएं दे सकता है।

क्यों आ रही है समस्या?

  • टेलीकॉम कंपनियों ने बताया है कि वाईफाई सेवाएं के लिए 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम को पेश किया जाना चाहिए। इसी कारण कंपनियों की मोबाइल फोन ऑपरेटर्स के साथ टकराव हो रही है।
  • पहले ही बीआईएफ ने 6 गीगाहर्ट्ज पर दूरसंचार विभाग (डीओटी) समिति की सिफारिशों को एकतरफा बताया था क्योंकि पैनल भी एकतरफा था और इसमें केवल दूरसंचार उद्योग संघ शामिल थे। बता दें कि बीआईएफ तकनीकी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है ।
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