Instagram, Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को डिलीट करना होगा इन यूजर्स के पूरा डेटा , जाने क्या है इसके पीछे की वजह
सोशल मीडिया पर अपने नागरिकों की सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर सभी देश बहुत ज्यादा सक्रिय रहने लगें हैं। इनका डेटा किस-किस के पास है और कौन-कौन इसको एक्सेस कर सकता है। इन सब को लेकर कड़े नियम बनाए गए है। भारत सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यूजर्स डेटा से जुड़ी नई हिदायत दी है जिसमें कुछ यूजर्स के डेटा को हमेशा के लिए हटाने के लिए कहा गया।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। भारत सरकार फेसबुक, एक्स (पूर्व में ट्विटर), इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर्स की सुरक्षा को लेकर कुछ नए नियम बनाने की तैयारी में है। नई रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि सरकार ने इस प्लेटफॉर्म से कहा है कि वो उन यूजर्स के पर्सनल डेटा को पर्मानेंटली डिलीट कर दें, जिन्होंने लगातार तीन सालों या उससे अधिक समय से अपने सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल नहीं किया है।
बता दें कि ये बदलाव डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट के ड्राफ्ट के नियमों के तहत किया गया है। इन नियमों को इस साल अगस्त में एक कानून के रूप में अनुमोदित किया गया था। इन नियमों को लाने से पहले स्टॉकहोल्डर्स के बीच चर्चा के लिए जारी किया जाएगा।
क्या है नया नियम?
- इस नियम के अनुसार उन अकाउंट के डेटा को पूरी तरह डिलीट करने की बात की गई है, जिसकी इस्तेमाल यूजर्स ने 3साल या उसके लंबे समय से लगातार नहीं किया है।
- इस नए नियम को ईकॉमर्स कंपनियों, ऑनलाइन मार्केटप्लेस, गेमिंग मिडिएटर्स और सभी सोशल मीडिया मीडिएटर्स पर भी लागू किया जा सकता है, भले ही भारत में उनके यूजर्स की संख्या कुछ भी हो।
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ये है अहम प्वाइंट्स
- इन नियमों के ड्राफ्ट में कुछ और अहम बातों पर भी जोर दिया गया है। बताया गया है कि कुछ प्लेटफॉर्म को कुछ यूजर्स डेटा को रखने की छूट मिलेगी, जिसमें हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स , चिकित्सा शैक्षणिक संस्थानों, स्वास्थ्य सेवाओं और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सस्थानों को पब्लिकली कुछ पर्सनल और नॉन पर्सनल डेटा का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी।
- इसके अलावा केंद्र सरकार, राज्य सरकार और लोकल आथॉरिटी के कंट्रोल में आने वाले शैक्षणिक संस्थान को भी इस तरह की प्रक्रिया की छूट दी जाएगी।
डेटा ब्रीच के समय इन बातों का रखना होगा ध्यान
- अगर पर्सनल डेटा ब्रीच का मामला आता है तो डेटा को संभालने वाले मिडिएटर को हमले के बारे में पता चलने के 72 घंटों के भीतर, डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड (डीपीबी) को घटना से संबंधित तथ्यों, परिस्थितियों और उल्लंघन के कारणों के बारे में सूचित करना होगा।
- डेटा फिडुशियरी को अपने यूजर्स और डीपीबी को उस डेटा ब्रिच की प्रकृति, डिटेल, तारीख और समय के बारे में सूचित करना होगा, जिस पर फिडुशियरी को डेटा उल्लंघन के बारे में पता चला।