मोटोरोला की कहानी आज से लगभग 100 साल पहले शुरू हुई थी। 1928 वह साल था जब दो भाईयों ने गैल्विन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की शुरुआत की। पुंजी कम थी लेकिन इरादा पॉल गैल्विन और जोसेफ नाम के दो भाइयों के पास बहुत बड़ा था। कंपनी की शुरुआत अमेरिका के इलिनॉय में हुई थी। कंपनी अपने शुरुआत के दिनों में बैटरी एलिमिनेटर बनाती थी।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। मोटोरोला आज जाना पहचाना नाम है। बजट से लेकर फ्लैगशिप तक किसी भी सेगमेंट की ओर नजर घुमाइए कंपनी के फोन मिल जाएंगे। मौजूदा समय में मोटोरोला लेटेस्ट फीचर्स के साथ फोन मार्केट में लॉन्च कर रहा है। आजकल लोग कंपनी को सिर्फ उसके स्मार्टफोन की वजह से ही जानते हैं। लेकिन एक ऐसा भी वक्त था जब कंपनी फोन नहीं बल्कि, किसी और चीज की लिए मशहूर थी।
इसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद मोटोरोला को लगा कि सिर्फ इतने भर से काम नहीं चलेगा। कुछ और नया करना पड़ेगा। बस फिर क्या था यहीं से मिली आज की मोटोराला और तब की बैटरी एलिमिनेटर बनाने वाली गैल्विन मैन्युफैक्चरिंग को पहचान। आज के इस लेख में हम आपको ले चलेंगे मोटोरोला की यात्रा पर।
ऐसे शुरू हुआ सफर...
मोटोरोला की कहानी आज से लगभग 100 साल पहले शुरू हुई थी। 1928 वह साल था जब दो भाईयों ने गैल्विन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की शुरुआत की। पुंजी कम थी लेकिन इरादा पॉल गैल्विन और जोसेफ नाम के दो भाइयों के पास बहुत बड़ा था। कंपनी की शुरुआत अमेरिका के इलिनॉय में हुई थी। कंपनी अपने शुरुआत के दिनों में बैटरी एलिमिनेटर बनाती थी। फोन बनाने को लेकर उस समय कोई इरादा भी नहीं था।
23 जून 1930 को इन भाईयों की मेहनत रंग लाई और इन्होंने 30 डॉलर में पहला कार रेडियो बेचा। उस समय मोटोरोला सिर्फ कम्युनिकेशन इक्विपमेंट बनाने पर ही फोकस कर रहा थी और कुछ सालों तक ये सिलसिला यूं ही चलता रहा।
फोटो सोर्स- unplash
1936 में पेश किया क्रूजर रेडियो रिसीवर
23 जून 1930 के बाद मोटोरोला इनकॉर्पोरेटेड को अगली बड़ी कामयाबी मिली 1936 में। जब कंपनी ने पुलिस क्रूजर रेडियो रिसीवर पेश किया। इसका इस्तेमाल अनेकों जगह किया गया। इसके बाद मोटोरोला का असली सफर शुरू हुआ जो आज तक रफ्तार से चल रहा है। बात 1940 की है जब कंपनी ने पोर्टेबल वॉकी-टॉकी लॉन्च किया था। कहा जाता है इसका इस्तेमाल दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भी किया गया था।
1947 गैल्विन मैन्युफैक्चरिंग के लिए अहम था, क्योंकि इस साल कंपनी ने कुछ लॉन्च तो नहीं किया लेकिन, अपना नाम बदलकर मोटोरोला इनकॉर्पोरेटेड कर लिया। 1960 में एस्ट्रोनॉट टेलीविजन, 1983 में पोर्टेबल सेल फोन और 1992 में दुनिया का पहला फ्लिप फोन आया। इसके बाद भी कंपनी ने कई नए कीर्तिमान स्थापित किए।
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फिर आया अहम पड़ाव
2010 तक मोटोरोला इनकॉर्पोरेटेड का सफर शानदार तरीके से आगे बढ़ा। लेकिन, अगले ही साल 2011 में कंपनी को दो हिस्सों में अलग होना पड़ा।
पहला मोटोरोला सॉल्यूशंस और दूसरे हिस्से को नाम मिला मोटोरोला मोबिलिटी। मोटोरोला सॉल्यूशंस वर्तमान में वीडियो सिक्योरिटी, मोबाइल रेडियो कम्युनिकेशन, कमांड सेंटर से जुड़े काम करती है, जबकि स्मार्टफोन और दूसरी चीजें बनाने की जिम्मेदारी मोटोरोला मोबिलिटी के ऊपर है। इसके बाद कुछ और चीजें मोटोरोला के साथ हुई। जो जानना जरूरी है।
दो बार बिकी मोटोरोला
बहुत कम लोग जानते होंगे, 2012 में मोटोरोला मोबिलिटी का मालिकाना हक गूगल के पास चला गया था। लेकिन कुछ साल बाद ही कंपनी की बागडोर लेनोवो ने ले ली। जिसके बाद फैसला लिया गया कि मार्केट में डिवाइस मोटोरोला नहीं बल्कि, लेनोवो के नाम से आएंगे। कुछ समय तक ऐसा हुआ भी। लेकिन जैसी उम्मीद कंपनी के मालिकों को थी वैसा हुआ नहीं। जिसके बाद फिर से मार्केट में मोटोरोला के नाम से ही स्मार्टफोन आने लगे।
अगले कुछ साल भारतीय नजरिये से देखें तो कंपनी के लिए खास नहीं रहे। क्योंकि साढ़े तीन साल तक कंपनी ने भारत में फोन नहीं बेचे। हालांकि 2020 में एक के बाद एक स्मार्टफोन लॉन्च करके कंपनी ने खोई हुई साख को वापस लाने का प्रयास किया है। मौजूदा वक्त में कंपनी हर सेगमेंट में भारत में स्मार्टफोन बेचती है।
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