ऐप की पेड सर्विस; यूजर की जरूरत या मजबूरी, मुफ्त का लॉलीपॉप देकर अब पैसे वसूल रहीं टेक कंपनियां
Tech Companies Paid Service धीरे-धीरे टेक कंपनियों का झुकाव यूजर से पैसा वसूलने की ओर होने लगा है। एक के बाद एक टेक कंपनियां यूजर के लिए प्रीमियम सर्विस उपलब्ध करवा रही हैं। ये सर्विस यूजर की जरूरत में शामिल भी हो रही हैं। (फोटो- जागरण)
By Shivani KotnalaEdited By: Shivani KotnalaUpdated: Mon, 20 Feb 2023 05:24 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। आखिरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने पेड सर्विस को लॉन्च करने का ऐलान कर ही दिया। हालांकि, इससे पहले ही ट्विटर जैसा पॉपुलर प्लेटफॉर्म भारत में अपनी पेड सर्विस लॉन्च कर चुका है। पेड सर्विस का सीधा और साफ मतलब है कि किसी प्लेटफॉर्म पर अधिक सुविधाओं का लाभ केवल और केवल पैसे चुका कर ही लिया जा सकेगा।
फेसबुक और ट्विटर पर इतने रुपये के हैं सब्सक्रिप्शन प्लान
फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक बड़ा यूजर ग्रुप एक्टिव है। ट्विटर ने भारत में अलग- अलग सब्सक्रिप्शन प्लान पेश किए हैं। मोबाइल में ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स से 900 रुपये प्रति महीने तो वेब यूजर्स के लिए यही फी 650 रुपये तय की गई है।
इसी तरह मेटा की पेड प्लान में यूजर से वेब सर्विस के लिए 11.99 डॉलर हर महीने लिए जाएंगे। जबकि, एप्पल आईओस के लिए यही फीस 14.99 डॉलर ली जाएगी।ऐसे में सवाल यह है कि बड़ी टेक कंपनियों में फ्री से पेड होने का दौर आखिर किन उद्देश्यों के मद्देनजर चल रहा है। यही नहीं, आने वाले समय में यूजर की जरूरत बनने के बाद क्या पेड सर्विस को लेना ही एक मात्र विकल्प रह जाएगा।
किस तरह बन रहे हैं आम यूजर की जरूरत
यूजर की जरूरत बनने की कड़ी में सबसे पहला जिक्र गूगल का किया जा सकता है। गूगल अपने यूजर्स को कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाता है। गूगल यूजर्स के लिए एक सर्च इंजन से बढ़कर काम करता है। यूजर के लिए जीमेल, फोटोज, न्यूज, ड्राइव, मीट और चैट की सुविधाएं भी गूगल की ओर से दी जाती है। इन सर्विस का इस्तेमाल लगभग हर आयु के यूजर से जुड़ा है।
एक नौकरीपेशा शख्स को उसकी फाइल्स और जरूरी डॉक्यूमेंट्स के लिए गूगल ड्राइव की सुविधा काम आती है तो मेल सेंड करने के लिए जीमेल काम में आता है। इसी तरह आपके स्मार्टफोन की स्टोरेज फुल होने पर गूगल की सुविधाएं काम में आती हैं।पुरानी यादों को सहेज कर रखने के लिए फोटोज़ में भी एक्स्ट्रा स्पेस होना ही चाहिए। ऐसे में गूगल की कई सुविधाएं एक यूजर की आम जरूरतों में शामिल हैं।