10 सालों में बदला टेलीकॉम कंपनियों का रेवेन्यू मॉडल, वॉइस और एसएमएस में आई भारी गिरावट
टेलीकॉम कंपनियों के राजस्व में भारी गिरावट आई है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने ओटीटी सर्विसेस के लिए रेगुलेटरी मैकेनिज्म पर एक पेपर जारी करते हुए यह जानकारी शेयर की है। ट्राई का कहना है कि देश में डेटा का इस्तेमाल बढ़ गया है जिससे टेलीकॉम कंपनियों के वॉइस और एसएमएस राजस्व में कमी देखने को मिली है।
By Subhash GariyaEdited By: Subhash GariyaUpdated: Sun, 09 Jul 2023 04:08 PM (IST)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने बताया कि पिछले दस सालों में देश की टेलीकॉम कंपनियों के राजस्व में वॉइस कॉल की हिस्सेदारी में लगभग 80 प्रतिशत और एसएमएस से 94 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके पीछे मुख्य कारण इंटरनेट-आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप का उपयोग बढ़ना है। ट्राई ने बताया है कि डेटा के उपयोग से प्रति यूजर्स राजस्व हिस्सेदारी 10 प्रतिशत बढ़ी है।
डेटा बना राजस्व का प्राथमिक स्रोत
टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई ने अपनी रिपोर्ट में व्हाट्सऐप, गूगल मीट, फेसटाइम जैसे इंटरनेट मैसेजिंग और कॉलिंग ऐप को रेगुलेट करने की बात भी कही है। इसमें आगे यह भी कहा गया है कि मैसेजिंग और वॉइस के लिए ओवर-द-टॉप (ओटीटी) एप्लीकेशन के बढ़ते इस्तेमाल ने दुनियाभर के टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइड के लिए डेटा राजस्व का प्रमुख स्रोत बन गया है।
ट्राई ने ओटीटी कॉम्यूनिकेश सर्विस और ओटीटी सर्विस सलेक्टिव बैनिंग को लेकर अपने रेगुलेटरी मैकेनिज्म पर कहा कि भारत में साल 2013 से 2022 तक की अवधि में वायरलेस सर्विसेस के रेवेन्यू बास्केट में बढ़ा बदलाव आया है।
जून 2013 क्वार्टर और दिसंबर 2022 क्वार्टर के बीच में टेलीकॉम कंपनियों के प्रति यूजर एवरेज रेवेन्यू (एआरपीयू) में डेटा रेवेन्यू की हिस्सेदारी को छोड़कर सभी में गिरावट आई है। इसके मुताबिक, डेटा राजस्व में 10 गुना तेजी के साथ दिसंबर 2022 क्वार्टर में बढ़कर 85.1 प्रतिशत हो गया है, जो जून 2013 तिमाही में 8.1 प्रति ग्राहक था, वहीं एआरपीयू 41 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ 123.77 रुपये से बढ़कर 146.96 रुपये हो गया।
ट्राई के मुताबिक, जून 2013 तिमाही के बीच एआरपीयू में वॉइस कॉल का हिस्सा 146.96 रुपये था, जो गिरकर 72.53 रुपये हो गया है। वहीं एसएमएस का राजस्व हिस्सेदारी 3.99 रुपये से घटकर 23 पैसे हो गया है।ट्राई इस बात की संभावनाएं खोज रहा है कि क्या ओटीटी प्लेयर्स को लाइसेंसिंग ढांचे के तहत लाया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें प्रवेश शुल्क, राजस्व हिस्सेदारी का भुगतान, वैध अवरोधन की सुविधा, कॉल डेटा रिकॉर्ड प्रदान करना, सेवा प्रदान करने के लिए नियामक अनुपालन आदि पर खर्च करना होगा।