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बहुत दिलचस्प है 1G से 5G का सफर, कहां से कहां पहुंच गए हम, जानिए इस यात्रा की गौरव गाथा

जब देश 5G के युग में पहुंचकर नया इतिहास लिख रहा है। ऐसे में हम आपको इतिहास के पुराने पन्नों की ओर ले जाना चाहेंगे। जानिए 1G से 5G की यात्रा के अलग अलग पड़ावों के बारे में।

By Kritarth SardanaEdited By: Updated: Mon, 17 Oct 2022 04:50 PM (IST)
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Mobile Network Photo Credit- Jagran New Media
नई दिल्ली, कृतार्थ सरदाना। जब से देश में 5G सेवाएं शुरू हुई हैं तभी से सभी के मन में इस तकनीक को लेकर एक अलग उत्साह है। निश्चय ही 5जी की इन नेटवर्क सेवाओं से संचार में एक ऐसी क्रान्ति आ गई है जिसकी बरसों पहले कल्पना तक नहीं की जा सकती थी।

असल में तार रहित अर्थात वायरलेस मोबाइल के लिए इसकी शुरुआत 1G तकनीक के रूप में ही हो गई थी। लेकिन उस सुस्त रफ्तार छोटी सी शुरुआत से तकनीक की इस 5जी आधुनिक जादुई दुनिया तक पहुंचने के लिए करीब 40 साल का सफर तय करना पड़ा। 1जी से 5जी का यह सफर कैसा रहा। आइये बताते हैं आपको-

1G का जमाना

तार रहित फोन लाने के लिए वन जी तकनीक के युग की शुरुआत 1979 के अंत में हुई। जब जापान के निपोन टेलीग्राफ एंड टेलीफोन (एनटीटी) ने इस ओर अपना कदम बढ़ाया। सन 1980 में विश्व का यह पहला तार रहित फोन लोगों तक पहुंचा तो सभी हैरान रह गए। एनालॉग सिग्नल के माध्यम से चलने वाली ये सेवाएँ वॉइस कॉल पर ही केन्द्रित थीं। लेकिन भारी भरकम मोबाइल फोन सेट होने के बावजूद इसमें आवाज साफ नहीं आती थी। उस समय इसकी स्पीड मात्र 2.4 केबीपीएस थी।

2G की बेसिक स्पीड

सन 1991 में एनालॉग के स्थान पर जीएमएस तकनीक से सबसे पहले फ़िनलैंड ने 2जी यानि दूसरी पीढ़ी की ये सेवाएँ शुरू कीं। जिससे यह सेवा डिजिटल युग में पहुँच गयी। जिससे फोटो वाले और मल्टी मीडिया संदेश और ई मेल आदि के साथ डाटा का उपयोग भी संभव हो गया। लेकिन इसकी स्पीड तब लगभग 50 केबीपीएस थी। जिसमें डाउनलोड की अधिकतम स्पीड 64 केबीपीएस थी। इसी के माध्यम से 1995 में भारत में मोबाइल फोन की सेवाएं शुरू हो सकीं।

3G का आगमन

3जी का आगमन अधिकारिक रूप से जापान में 2001 में हो सका। 3जी की स्पीड 384 केबीपीएस से 2 एमबीपीएस तक थी। जिससे वॉइस कॉल के साथ वीडियो कॉल तो संभव हुआ ही। साथ ही मोबाइल इंटरनेट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ऑनलाइन टीवी, संगीत, 3D गेमिंग, फ़ाइल ट्रान्सफर और नेविगेशन मैप जैसी सुविधाओं से दुनिया तेजी से बदल गयी।

4G की संचार क्रांति

वायरलेस की चौथी पीढ़ी यानि 4जी ने अपनी शुरुआत तो 2007 में ही कर दी थी। जबकि 2009 में नार्वे में इसका पहला व्यावसायिक प्रयोग शुरू हुआ। लेकिन इसकी सही शुरुआत 2010-2011 में हुई। भारत में 2015 के बाद 4जी सभी के लिए आकर्षण बन गया। इसकी स्पीड 100 एमबीपीएस से वन जीबीपीएस तक है। इसीके चलते एचडी तकनीक उपभोक्ताओं को नए युग में ले गयी। स्मार्ट फोन औए ओटीटी का बाज़ार तेजी से बढ़ा। सॉफ्टवेयर, गेम्स और फिल्म्स डाउनलोड का कम भी सुगमता और तीव्र गति से होने लगा।

5G का दम

विश्व में सबसे पहले अप्रैल 2019 में दक्षिण कोरिया ने 5जी सेवाएं आरंभ की थीं। भारत में भी इसका ट्रायल 2020 में शुरू हो गया था। लेकिन कुछ कारणों से हमारे यहाँ इसका लॉंच एक अक्तूबर 2022 को हो सका। इससे भारत में एक नए संचार युग का आगमन हो गया है।

बड़ी बात यह भी है कि 2जी से 4जी के समय तक भारत विश्व के अन्य देशों पर निर्भर था। लेकिन 5जी के समय भारत ने ये सेवाएं भारत ने अपने बल पर आरंभ कर आत्म निर्भर भारत के अभियान को नया शिखर दिया है। इसकी स्पीड 3 जीबीपीएस है। इससे इंटरनेट तो 10 से 20 गुना तेज है ही। साथ ही 5जी से स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, कृषि जैसे कितने ही क्षेत्रों की दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी । यहाँ तक चालक रहित कार आदि चलाने के साथ दूर बैठे रोगियों की शल्य चिकित्सा भी इस तकनीक से संभव हो सकेगी।

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