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भारत में 4जी व 5जी उपकरणों की हो रही चोरी, बांग्लादेश है बिक्री का ठिकाना

इस बारे में दूरसंचार कंपनियों के संगठन सीओएआई की तरफ से बार बार ध्यान आकर्षण कराने पर दूरसंचार विभाग प्रवर्तन इकाइयों को निर्देश दिया है है कि वे सभी राज्य पुलिस विभागों को सतर्क करें ताकि टेलीकॉम नेटवर्क में इस्तेमाल होने वाले नेटवर्क गियर की चोरी रोकने के लिए ठोस कार्रवाई हो। सीओएआई का कहना है इससे दूरसंचार कंपनियों को अभी तक 800 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।

By Jagran News Edited By: Yogesh Singh Updated: Sat, 01 Jun 2024 11:45 PM (IST)
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दूरसंचार कंपनियों को अभी तक 800 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में तेजी से 5जी सेवाओं का विस्तार करने में जुटी दूरसंचार कंपनियों की राह में चोरों ने एक बड़ी अड़चन पैदा कर दी है। भारत में एयरटेल व दूसरी दूरसंचार कंपनियों की तरफ से लगाये जा रहे इन उपकरणों की चोरी की जा रही है और इन्हें बांग्लादेश, नेपाल व दूसरे देशों को भेजा रहा है।

800 करोड़ रुपये का नुकसान 

इस बारे में दूरसंचार कंपनियों के संगठन सीओएआई की तरफ से बार बार ध्यान आकर्षण कराने पर दूरसंचार विभाग (डॉट) प्रवर्तन इकाइयों को निर्देश दिया है है कि वे सभी राज्य पुलिस विभागों को सतर्क करें ताकि टेलीकॉम नेटवर्क में इस्तेमाल होने वाले नेटवर्क गियर की चोरी रोकने के लिए ठोस कार्रवाई हो। सीओएआई का कहना है कि इससे दूरसंचार कंपनियों को अभी तक 800 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। संगठन ने यह भी कहा है कि इससे 4जी व 5जी सेवा का विस्तार प्रभावित होने के साथ मोबाइल सेवा की गुणवत्ता पर भी असर हो रहा है।

दूरसंचार कंपनियों के सूत्रों ने बताया है कि अभी तक मोबाइल टावर में बैटरियों की चोरी होती थी लेकिन अब चोर हाईटेक हो गये हैं और वो महंगे उन्नत प्रौद्योगिकी वाले टेलीकॉम उपकरण चुराना शुरू कर दिया है। खास तौर पर केब व बैटरी के साथ टावर में लगे रेडियो रिसीवर यूनिट्स की चोरी होने लगी है। टावरों या छतों पर लगे ये यूनिट किसी भी मोबाइल नेटवर्क के लिए बिना किसी रुकावट के कनेक्टिविटी सुनिश्चित करते हैं। इस चोरी का सीधा असर मोबाइल नेटवर्क पर पड़ता है।

चोरी के बाद तो टावरों को ठीक करने में काफी समय लग जाता है। इस दौरान, नए सिम कार्ड एक्टिवेट करने, रिचार्ज करने और रेडियो सेट करने में भी दिक्कतें पैदा होती हैं। यह बात भी सामने आई है कि कुछ मामलों में भारत में चोरी किये गये इन यूनिटस को कबाड़ के तौर पर चीन व बांग्लादेश भेजा गया है। वहां, इन उपकरणों को रीसेट करके दोबारा इस्तेमाल के लिए तैयार कर उन्हें बेचने के लिए वेबसाइट पर लिस्ट कर दिया जाता है। भारत में चोरी किये गये इन उपकरणों की मांग गैर-विकसित एशियाई व अफ्रीकी देशों में है।

इस बारे में डॉट ने 27 मई को एक निर्देश जारी किय है जिसमें सभी लाइसेंस सेवा क्षेत्रों में प्रवर्तन इकाइयों से कहा है कि वे राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ टेलीकॉम गियर की चोरी की त्रैमासिक समीक्षा करें। विभाग चाहता है कि यह मुद्दा आगामी राज्य ब्रॉडबैंड समिति की बैठकों में भी चर्चा के लिए लाया जाए। डॉट से इस बारे में शिकायत रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की तरफ से भी की गई थी।

सीओएआइ ने भी अपने पत्र में लिखा था कि दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना, असम, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब में सबसे ज्यादा उपकरणों की चोरी हुई है। अधिकांश मामले में चोरी किये गये उपकरणों की जब्ती नहीं हो पाई है।

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