Move to Jagran APP

WhatsApp और Telegram जैसी इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप्स को रगुलेट करने की प्लानिंग, जानें डिटेल

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) जल्द ही Google Meet WhatsApp Telegram जैसी इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेंजिंग ऐप्स को रेगुलेट करने पर काम कर रहा है। टेलीकॉम कंपनियां पिछले काफी समय से इन प्लेटफॉर्म को लाइसेंसिंग के दायरे में लाने की सिफारिश कर चुके हैं। ट्राई का कहना है कि वह इन ऐप्स पर सलेक्टिव बैनिंग पर भी विचार कर रहा है।

By Subhash GariyaEdited By: Subhash GariyaUpdated: Mon, 10 Jul 2023 05:19 PM (IST)
Hero Image
TRAI Planning to regulate internet calling and messaging apps like WhatsApp and Telegram.
नई दिल्ली, टेक डेस्क। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ओटीटी प्लेयर्स जैसे Google Meet, WhatsApp, Telegram और दूसरी इंटरनेट पर आधारित वॉइस और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को लाइसेंसिंग के दायरे में लाने की प्लानिंग कर रहा है। ट्राई ने ओटीटी कॉम्यूनिकेश सर्विस और ओटीटी सर्विस सलेक्टिव बैनिंग को लेकर अपने रेगुलेटरी मैकेनिज्म के डिस्कशन पेपर में इसका जिक्र किया है।

टेलीकॉम कंपनियां लंबे समय से कर रही हैं मांग

टेलीकॉम कंपनियां लंबे समय से मांग कर रही हैं कि कॉम्यूनिकेशन ऐप्स को रेगुलेट किया जाए। उनकी दलील है कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स को जिस सर्विस के लिए लाइसेंस खरीदना पड़ता है। ये ऐप्स बिना सिक्योरिटी और फाइनेंसियल ड्यूटी का भुगतान कर ऐसी सुविधाएं ग्राहकों को दे रही हैं।

इस पर ओटीटी ऐप्स का तर्क है कि वे आईटी अधिनियम के तहत रेगुलेट हैं। इसके साथ ही ऐप्स का यह भी कहना है कि और अधिक नियम इनोवेशन को प्रभावित करेंगे।

संसदीय पैनल भी कर चुका है सिफारिश

टेलीकॉम और आईटी पर एक संसदीय पैनल ने अशांत क्षेत्र में पूर्ण इंटरनेट शटडाउन के प्रभाव को कम करने के लिए इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप की सेवाओं को रेगुलेट करने की सिफारिश कर चुका है।

इंटरनेट शटडाउन से बेहतर सलेक्टिव बैनिंग

ट्राई ने अपने पेपर में लिखा है कि ओटीटी ऐप्स और वेबसाइट आदि पर सलेक्टिव बैनिंग, जिनका उपयोग आतंकवादियों या राष्ट्र-विरोधी तत्वों द्वारा किसी क्षेत्रों में परेशानी पैदा करने के लिए किए जाने की संभावना है, पूर्ण इंटरनेट शटडाउन की तुलना में बेहतर प्रतीत हो सकता है।

भारत में इंटरनेट शटडाउन से नुकसान

दुनियाभर में इंटरनेट पर अपनी नजर बनाए रखने वाली संस्था Netloss ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया था कि इंटरनेट शटडाउन से भारत को 2023 में अब तक करीब 1.9 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है। इसके साथ ही देश में पिछले साल 84 बार इंटरनेट बंद रहा।